उन्नाव – गन्दगी के बीच रहने को मजबूर है कांशीराम कालोनी के निवासी, जिला प्रशासन को नही कोई फ़िक्र
आदिल अहमद
उन्नाव- वैसे तो केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक स्वच्छ भारत अभियान चला रही है और अधिकारी भी इस अभियान के तहत खूब कागजों और तस्वीरों में सरकार के सामने अपने नम्बर बढ़ाने में लगातार कामयाब रहते हैं काहे से मोदी जी और योगी जी तो गली-गली देखने जाते नही और जनता भी बेचारी सरकार तक नही पहुंच पाती तो साहेब लोग जितने चाहे अपने नम्बर बढ़ा लेते हैं फिर खुद ही लोग अपनी पीठ भी थपथपा लेते हैं। मगर का साहेब ज़मीनी हकीकत आप भी जानते है।
आइये आपको बताते चले उन्नाव, काशीराम पहुंचने पर हमने जो गन्दगी का दृश्य देखा उससे ये एहसास हो रहा था कि यह काशीराम कालोनी इंसानों की पनाहगाह नही बल्कि सुअरों की चाराहगाह हैं जो कि तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है। तस्वीर देखने के बाद आप भी इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि यहाँ सालों से कोई भी सफाई कर्मचारी सफाई हेतु नही आया है और न ही किसी अधिकारी ने काशीराम आने की जहमत उठाई होगी। जबकि जमीनी हकीकत तस्वीरों में साफ झलक रही है।
ज्ञातव्य हो कि काशीराम कालोनी के ठीक सामने उन्नाव तहसील बनी है। अब साहेब जरा यह बताइए कि बड़े बड़े साहेब लोगो का अक्सर तहसील आना जाना तो लगा ही रहता होगा। खुद तहसीलदार साहब इसी तहसील में बैठते है। क्या साहेब लोगो की कभी खतरनाक बीमारी फैलाने वाली गंदगी और सुअरों की चाराहगाह पर नज़र नही पड़ी या फिर साहेब देख कर अनदेखा कर रहें हैं।
अब सवाल यह उठता है कि इस काशीराम कालोनी को मायावती सरकार ने बनाया और इस योजना से लाखों गरीबों को अपनी छत मिली थी और उसके बाद माया के शासन काल खत्म होने के बाद से तमाम काशीराम कॉलोनियों के हाल बेहाल हैं। क्या इस कालोनी में इंसान नही रहते है ? क्या इस कालोनी के वासियों को स्वछता नही चाहिये होती है? क्या स्वच्छ भारत अभियान इस कालोनी में नहीं लागू है? आखिर यहाँ की जनता कब तक यूँही रहेगी बेहाल? आखिर गन्दगी से बीमार हुए लोगों की कौन लेगा जिम्मेदारी?