सियासी बवंडर : मायावती सुप्रीमो ने दिया राज्यसभा से इस्तीफा
करिश्मा अग्रवाल
उत्तर प्रदेश की सियासत में कल जो हुआ उसके लिए शायद कोई तैयार नहीँ था।चुनाव से पहले ‘गेम चेंजर’ मानी जाने वाली और चुनावों के बाद EVM परिणामों पर जोर शोर से सवालिया निशान खड़े करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती ने कल यानी मंगलवार को राज्यसभा से अपना इस्तीफा देकर सभी को स्तब्ध कर दिया।वह मायावती जो उत्तर प्रदेश चुनावों में सियासी जीत के लिए ‘हाथ’ और ‘साइकिल’ दोनों को थामने के लिए तैयार थी,उन्होंने राज्यसभा से भी इस्तीफा दे दिया है।
जी हां ।यह यकीनन हैरान करने वाला है पर सियासी सरजमी पर अपनी पकड़ को हमेशा मजबूत चाहने वाली बसपा सुप्रीमो ने यह कहते हुए त्यागपत्र दिया है की जब उनकी बात ही सुनने वाला राज्यसभा में कोई नहीं है तो ऐसे में राज्यसभा का सदस्य बने रहने का प्रश्न ही नहीं उठता है ।
जी हां ।यह यकीनन हैरान करने वाला है पर सियासी सरजमी पर अपनी पकड़ को हमेशा मजबूत चाहने वाली बसपा सुप्रीमो ने यह कहते हुए त्यागपत्र दिया है की जब उनकी बात ही सुनने वाला राज्यसभा में कोई नहीं है तो ऐसे में राज्यसभा का सदस्य बने रहने का प्रश्न ही नहीं उठता है ।
सभापति को भेजी तीन पेज की लंबी चिट्ठी :
सभापति को भेजी तीन पेज की लंबी चिट्ठी में मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा में हुए पूरे वाक्ये का जिक्र करते हुए कहा कि मैं सहारनपुर हिंसा पर अपनी बात रखना चाहती थी कि लेकिन मुझे बोलने नहीं दिया गया.
इस्तीफे के बाद यह कहा बसपा सुप्रीमो ने :
मायावती ने इस्तीफे के बाद कहा की ,
“मैं दलित समाज से संबंध रखती हूं, सत्ता पक्ष मुझे अपनी बात नहीं रखने दे रहा है. मैं जब बोल रही थी तब सरकार के मंत्री खड़े हो गए और मुझे बोलने नहीं दिया गया. मैंने इस देश के करोड़ों दलितों, पिछड़ों, मजदूरों और किसानों के हित में राज्यसभा के सभापति को इस्तीफा सौंपा है. जब सत्ता पक्ष मुझे अपनी बात रखने का भी समय नहीं दे रहा तो मेरा इस्तीफा देना ही ठीक है.“
सहारनपुर हिंसा मुद्दे हुआ ‘बड़ा’ विवाद :
संसद के मानसून सत्र में सहारनपुर हिंसा पर जब मायावती अपने विचार रखना चाह रही थी तो इसी दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है क्योंकि वो दलितों का मुद्दा उठा रही हैं ।इसी के साथ सदन को छोड़ते हुए मायावती ने धमकी दी थी कि वो अब राज्यसभा से इस्तीफा दे देंगी।
क्या हुआ था ऐसा :
आज राज्यसभा में जब मायावती को बोलते हुए करीब तीन मिनट हो गये तो चेयरपर्सन ने उन्हें अपनी बात रोकने को कहा लेकिन मायावती और वक़्त दिए जाने पर अड़ी रहीं.लेकिन डिप्टी चेयरमैन ने उन्हें मौका नहीं दिया. इसके बाद गुस्से में उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफे की बात कह दी और बाद में ऐसा कर भी दिया।
पहली बार राज्यसभा में दिया गया है 3 पेजों का लंबा इस्तीफा :
अब तक जो होता आया है उस पर नजर डालें तो जब भी कोई राज्यसभा सदस्य इस्तीफा देता है तो निजी कारणों के तहत महज एक लाइन का इस्तीफा देता है. लेकिन यह पहली बार है जब तीन पेज लंबा इस्तीफा या यूं कहें की चिट्ठी में कारण बताते हुए इस्तीफा दिया गया है. ऐसे में मायावती के इस्तीफे पर सभापति की क्या प्रतिक्रिया होगी देखना यकीनन दिलचस्प होगा।
वैसे बता दें कि अगले साल मायावती का कार्यकाल समाप्त हो रहा था।