तारिक आज़मी की कलम से – इतनी आसान तो नही है पत्रकारिता

तारिक आज़मी

आप मीडिया से आशा करते है अच्छी बात है। हमको भी अपनी भूमिका बखूबी निभाना चाहिये। मगर मीडिया के साथ किस प्रकार का व्यवहार होता है कभी उसको भी ध्यान देना चाहिये। कई मामले ऐसे है जिसमे मीडिया के साथ बुरा व्यवहार हुआ है। मगर आप खुद सोच के बताये कि किसने इसका विरोध किया। अभी बलिया जनपद के एक विधायक धनञ्जय कन्नौजिया का ही मामला सामने है। मीडिया कर्मी ने एक सवाल दगता हुआ क्या पूछा कि कन्नौजिया जी नाराज़ हो गये और पत्रकार को हर तरह की धमकी देने लगे। मामला तुल पकड़ गया। आलोचनाओ का दौर चला और आखिर कन्नौजिया जी को झुकना पड़ा तथा माफ़ी मंगनी पड़ी। मामले में भले विधायक जी ने माफ़ी मांग कर बात को विराम दे दिया हो। मगर सवाल यही है कि पत्रकार के साथ हुई अभद्रता के समय वहा आम जनता भी थी। क्या किसी ने सवाल उठाया।

दूसरी घटना भी बताता चलता हु कि असम से लोकसभा में सांसद बदरुद्दीन अजमल का व्यवहार भी अभद्र था। उन्होंने माफी मांग ली है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में लाभ पहुंचाने के सवाल पर वह भड़क गए और धमकी देने लगे। उन्होंने माफी मांगते हुए कहा कि मीडिया चौथा स्तंभ है। मुझे हमेशा मीडिया का सम्मान करना चाहिए। अच्छा हुआ, सदबुद्धि आ गई, वर्ना वे पत्रकार का सिर तोड़ देने की बात कर रहे थे। मीडिया और सोशल मीडिया में जब अजमल की आलोचना हुई, तब उन्हें समझ आया कि क्या ग़लत किया है। अच्छा होता कि ख़ुद समझ जाते और प्रायश्चित्त करते। आप मीडिया से उम्मीद करते हैं तो आप देखें कि मीडिया आपके साथ क्या व्यवहार कर रहा है, आप यह भी देखिए कि सरकार मीडिया के साथ क्या व्यवहार करती है? आप मीडिया के साथ क्या व्यवहार कर रहे हैं?

अब आते है एक और मुद्दे पर सभी को लगता है कि काम बहुत आसन है। कलम उठाया, कैमरा लटकाया और बन बैठे पत्रकार। मामला अगला इससे ज्यादा पेचीदा हो सकता है। मामला मणिपुर का है। जहा के पत्रकार किशोरचंद्र वांग्खेम को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत एक साल की सज़ा हुई है। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का एक सलाहकार बोर्ड होता है। 11 दिसंबर को राज्य सरकार ने पत्रकार के खिलाफ लगाए गए आरोपों को इसके सामने पेश किया। 13 दिसंबर को बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी और इसके  तहत गिरफ्तारी को मंज़ूरी दे दी। बोर्ड ने रिपोर्ट में कहा कि आरोपी की पिछली गतिविधियों पर विचार किया गया है। यह देखा गया है कि उसकी गतिविधियों से राज्य की सुरक्षा और कानून एवं व्यवस्था को लेकर कोई ख़तरा तो पैदा नहीं हो सकता है। आशंका है कि जेल से छूटते ही आरोपी पूर्वाग्रही गतिविधियों को जारी रखेगा, इसलिए इसे अधिकतम 12 महीने के लिए हिरासत में रखा जाए। किशोरचंद्र मणिपुर के आईएसटीवी के एंकर रिपोर्टर हैं। 21 नवंबर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन्होंने एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें भाजपा सरकार की आलोचना की थी। मैतेई भाषा में राज्य के मुख्यमंत्री एम बीरेन सिंह की कड़ी आलोचना की थी। मुख्यमंत्री ने राना झांसी के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किया था और उसे मणिपुर में स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ दिया था। किशोरचंद्र ने इसी बात की आलोचना की थी। बताया गया है कि उन्होंने भाजपा सरकार, संघ के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग किया था। सरकार को गिरफ़्तार करने की चुनौती दी थी।

अब आप इस मुद्दे को दुसरे नज़रिये से देखे। रोज़ रोज़ राजनितिक लोग एक दुसरे पर कीचड़ उछालते है। एक दुसरे को लोग अभद्र भाषा का प्रयोग करते है। क्या उनके ऊपर भी ये कानून लागु होता है। नही होता है लागू। मगर एक पत्रकार के तौर पर यही अभिव्यक्ति की आज़ादी के तौर पर दिया गया बयान अपराध की श्रेणी में आ गया और पत्रकार को जेल हो गई। जबकि आपको बताते चले कि उन्हें इसी केस में गिरफ्तार किए गए और 25 नवंबर को ज़मानत पर वह रिहा हो गए। अदालत ने माना कि उन्होंने बस सार्वजनिक हस्ती की सड़क की भाषा में आलोचना भर की थी। अदालत ने अपने फैसले में लिखा है कि नहीं लगता कि दो समुदायों के बीच शत्रुता पैदा करने की कोशिश की गई है। न ही इनकी बातों में नफ़रत फैलाने की कोई बात नज़र आती है, लेकिन बोर्ड के फैसले के बाद फिर गिरफ्तार कर लिया गया। हर तरफ इस फैसले की आलोचना हुई है। भाषा शालीन होनी चाहिए, लेकिन क्या इसके लिए किसी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत बंद कर देना चाहिए? फिर तो सोशल मीडिया पर नेहरू के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में न जाने कितने लोग जेल में बंद हो गए होते। अब आप खुद फैसला करे कितनी आसन है पत्रकारिता या फिर कितनी मुश्किल होती जा रही है।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *