तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – बग्गा जी हंगामा है क्यों बरपा ? पीएनयु क्लब को मिला बार का लाइसेंस,

तारिक आज़मी

भाई देखे हम आज कल ज़रा साफ़ साफ़ बोल दे रहे है। वो क्या है न काका का कहा हमारे समझ में आ गया। अब हम सोच लिया कि साफ़ साफ़ बोल देने में कऊनो दिक्कत तो है नही। वैसे भी दिक्कत का हो सकती है, बहुत होगा तो साहब नाराज़ हो जायेगे और गुस्सा होकर मुह फुला कर बैठ जायेगे। तो भैया इहा का दिक्कत है। भाई मुह आपका है अब फुलाओ या पिच्काओ हमसे का मतलब है। मामला असल में आज जो हमारे जानकारी में आया वो बनारस के प्रतिष्ठित क्लब पीएनयु क्लब का है। नाम ये आज कल बड़ा चर्चित सा है काहे कि जब देखो कुछ न कुछ हुआ करता है। तो खबर तो एक ही है मगर उस एक खबर का कही और असर हो रहा है तो दो जगह हो गई। चलिए हम आपको पाकाते नही है सीधे मुद्दे की बात पर आ जाते है।

वाराणसी के प्रतिष्ठित क्लब में एक पीएनयु क्लब को बार का लायसेंस मिल गया है। विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार क्लब तरफ से महासचिव डॉ रितेश जायसवाल और कार्यकारी अध्यक्ष मनोज महेश्वरी के प्रयासों से क्लब के सदस्यों को हो रही असुविधा के मद्देनजर जिलाधिकारी के आदेशो पर आज पीएनयु क्लब को बार का लायसेंस मिल गया और बार आज से ही बार शुरू हो जायेगा। इस खबर को पता चलते ही क्लब के सदस्यों में ख़ुशी का माहोल देखने को मिला और क्लब के सदस्यों ने एक दुसरे को बधाई दिया।

अब इसका असर कही और पड़ गया भैया तो हम का कर सकते है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जैसे ही इस खबर की खबर दुसरे तरफ पहुची यानी अशोक वर्मा गुट को पहुची तो लगा हडकंप मच गया है। खबर का कानाफूसी होते होते एक चारा मशीन की दूकान तक खबर पहुच गई, फिर क्या था तत्काल एक अति आवश्यक बैठक आयोजित हो गई। सूत्रों की माने तो क्लब के पूर्व वाले साहब बलवीर सिंह बग्गा के वाणिज्यिक स्थल पर इस बात पर गहन मंत्रणा करने के लिये बैठक चाय की चुस्कियो और भुने हुवे काजू के साथ होने लगी कि आखिर ऐसा हो कैसे गया।

बग्गा जी, ओ बग्गा जी, देखिये हम तो कहते है कि क्लब में अगर बार खुल गया तो फिर आखिर इतनी व्याकुलता काहे की है प्रभु, आप भी दो घुट लेकर गाना गा लेना हंगामा है क्यों बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है। बढ़िया गाना है वैसे इसको बिना पिए भी गया जा सकता है। हम तो अईसही सुन लेते है। आप भी गा लीजियेगा। मगर साहब देखिये का फायदा है आपस में इधर उधर झाकने का। देखिये हम तो खाली बता रहे है। अब आप इधर उधर झाकेगे तो दूसरा भी तो झाकेगा न जी इधर उधर। फिर उसने बोलना शुरू किया तो आरोप प्रत्यारोप शुरू हो जायेगा। देखे न आरोपों की कड़ी में मुझे भी सूत्र ने बताया कि आपके ऊपर करोडो के गबन का आरोप है, हमने कहा कुछ आपसे, कहना छोडिये साहब हमने तो किसी को बताया तक नहीं कि क्लब के कार्यकारी अध्यक्ष ने हमको बताया कि आपने एक करोड़ 67 लाख,17 हज़ार, 715 रुपया का तीन साल में दावत का बिल बिना अनुमोदन के पास करवा लिया।

बताइये किसी को बताया हमने कि क्लब के कार्यकारी अध्यक्ष ने हमको बताया कि वर्ष 2016 की बैलेंस शीट में क्लब का सर्विस टैक्स जो सदस्यों से लेकर सरकार को जमा किया जाता है की कुल बकाया राशि रुपया 29 लाख 69 हज़ार, 383 रुपया दिखाया गया था। फिर अगले वर्ष यानी वर्ष 2017 में उक्त राशि जिसको जमा नही किया गया वह बैलेस शीट से गायब थी।

अब देखिये न डॉ रितेश जायसवाल को आप जानते ही होगे न बग्गा जी। ज़रूर जानते होंगे अब उन्होंने हमको बताया कि सम्मानित न्यायालय का आदेश केवल 835 सदस्यों का था जो पुरे थे, मगर उनके अलावा आपने लगभग 200 सदस्य और बना डाले। अब हमने कही कहा कि साहब एक सदस्य का मेंबरशिप फीस 2 लाख 38 हज़ार होता है तो इतने सदस्यों का कितना हुआ। कही हमने कहा कि न्यायालय के आदेशो की अवहेलना करना अपराध है और इसके ऊपर मुकदमा हो जाता है।

तो साहब क्या करना है इतना व्याकुलता दिखा कर। क्लब का उद्देश्य अपनी मौज मस्ती करने के लिये है। उद्देश्यों की पूर्ति करे। खुद सोचे सब सदस्यों ने मिल कर ही तो आखिर क्लब के पदाधिकारी चुने होंगे, अब लोकतंत्र है साहब तो लोकतंत्र में कोई जीतता है कोई हारता है। ये तो प्रकृति का नियम है। इस बार न सही अगली बार और मेहनत करे और लडे चुनाव। अब आप सोचिये न साहब डॉ अशोक वर्मा ने दावा दाखिल किया था केस नम्बर 42064 आखिर वो ख़ारिज हो गया न, ये बात भी क्लब के एक सदस्य ने हमको बताई है साहब, तो मान ले न्यायालय के आदेश को। जाइए साहब आज क्लब में बार खुलेगा तो थोडा मूड शूड बना ले। आखिर इतना व्याकुलता किस बात की है भाई।

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