सत्यं,शिवं सुंदरम् का पावन शंखनाद ही पत्रकारिता है – ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह ‘रवि’
प्रमोद कुमार दुबे
सुलतानपुर। ‘असत्य, अशिव और असुन्दर पर सत्यं,शिवं सुंदरम् का पावन शंखनाद ही पत्रकारिता है।’ यह बातें युवा विचारक ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह ‘रवि’ ने कहीं । ‘रवि’ जिला पंचायत सभागार में गुजरात की साहित्यिक संस्था साहित्य परिवार द्वारा आयोजित ‘समाज निर्माण में पत्रकारिता की भूमिका’ विषय पर बतौर विशेष वक्ता बोलते हुये कहीं।
ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह ‘रवि’ ने कहा – ‘ मीडिया के नए बदलावों पर आज सवाल उठने लगे हैं। बाजार के दबावों ने मीडिया प्रबंधकों की रणनीति बदल दी है और बाजार के मूल्यों पर आधारित मीडिया का विकास भी तेजी से हो रहा है।ऐसे में पत्रकारिता के सामाजिक सरोकार आज बहुत बढ़ गये हैं।’ मुख्यअतिथि डॉ.आद्या प्रसाद सिंह ‘प्रदीप’ ने कहा कि – पत्रकारिता समाज में निराशा के दौर को दूर करती है। अम्बरीष मिश्र ने कहा कि आज के समाज को पत्रकारिता प्रभावित करती है। दयाराम अटल ने अपने अनुभवों को साझा करते हुये कहा कि आज की पत्रकारिता पूंजीपतियों के हाथों खेल रही है।
वरिष्ट पत्रकार मनोराम पाण्डेय ने कहा कि समाज और पत्रकारिता एक दूसरे से जुड़े हुये हैं । सत्य नरायण रावत ने विभिन्न दशकों में पत्रकारिता के परिवर्तनों को बताते हुये कहा कि पत्रकारिता और समाज में बहुत कुछ बदला है। संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ.ओंकारनाथ द्विवेदी व संचालन डॉ. शोभनाथ शुक्ल ने किया। दिन भर चले तीन सत्रों में सम्पन्न इस साहित्यिक समारोह के पहले सत्र में पत्रकारों व साहित्यकारों का सम्मान व पुस्तकों का लोकार्पण किया गया । वरिष्ट साहित्यकार राजेश्वर सिंह, सत्यनरायण रावत , मनोराम पाण्डेय, डा.अवधेश शुक्ल, अम्बरीष मिश्र , के.के. तिवारी , हरिश्चंद्र श्रीवास्तव , जगदीश श्रीवास्तव व मथुरा प्रसाद सिंह ‘जटायु’ को अंगवस्त्र, माला व सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया । इस सत्र के मुख्यअतिथि राजेश्वर सिंह , अध्यक्ष जयंत त्रिपाठी थे । आयोजक डॉ.सूर्यदीन यादव द्वारा रचित काव्यसंग्रह ‘माटी कहे पुकार’ व उपन्यास ‘माटी की देह’का लोकार्पण किया गया । इस सत्र को दिनेश प्रताप सिंह ‘चित्रेश’ , डॉ. रामप्यारे प्रजापति ,सुरेश चन्द्र शर्मा , व डा. करूणेश भट्ट ने सम्बोधित किया ।
अंतिम सत्र में काव्य गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें देव नरायण शर्मा ‘चक्रधर’ , डा. सुशील कुमार पाण्डेय “साहित्येन्दु’ , युवा गीतकार अवनीश त्रिपाठी , जयंत त्रिपाठी , जगदीश श्रीवास्तव आदि ने काव्यपाठ किया। संचालन आशुकवि मथुरा प्रसाद सिंह’जटायु’ ने किया। आयोजक डॉ. सूर्यदीन यादव ने आभार ज्ञापन किया।