राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बेटो पर नोटबंदी के दौरान मनी लांडरिंग के बड़े आरोप, कांग्रेस हुई भाजपा पर हमलावर
इमरान अख्तर
नई दिल्ली. अजीत डोभाल के बेटो पर लगे नोटबंदी में ब्लैक मनी को वाइट करने के आरोपों पर कांग्रेस के द्वारा एक प्रेस कांफ्रेस का आयोजन करते हुवे जयराम नरेश ने डोभाल के जरिए बीजेपी पर हमला बोलते हुवे कहा है कि क्या मनी लांडरिंग को संस्थागत करने के लिए नोटबंदी को एक टूल के रूप में इस्तेमाल किया गया? कांग्रेस कार्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि भाजपा ने 2011 में एक समिति गठित की थी। इस समिति ने बीजेपी की तरफ से एक रिपोर्ट दी थी, जिसका शीर्षक था-इंडियन ब्लैक मनी अब्रोड। इसमें चार सदस्य थे। मौजूदा एनएसए अजित डोभाल की इस रिपोर्ट को तैयार करने में भूमिका थी। जयराम रमेश ने कहा कि आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की थी। 13 दिन बाद 21 नवंबर 2016 को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बेटे विवेक डोभाल केमैन आईलैंड में जीएनवाई एशिया खोलते हैं।
On 8th Nov, 2016, PM @narendramodi announced Demonetisation. 21st Nov, 2016, Vivek Doval, son of Ajit Doval, opens a hedge fund called ‘GNY Asia’ in Cayman Islands. Cayman Islands is a tax haven, according to the report of BJP's 2011 committee: @Jairam_Ramesh#DovalKeAccheDin pic.twitter.com/jnFkZ80m5r
— Congress (@INCIndia) January 17, 2019
उन्होंने कहा कि चौंकाने वाली बात है कि वर्ष 2000 से लेकर 2017 तक भारत को केमैन आईलैंड से जहां एफडीआई के रूप में आठ हजार तीन सौ करोड़ रुपये आता है, वहीं अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2018, सिर्फ एक साल में ही आठ हजार तीन सौ करोड़ रुपया भारत में आता है। क्या यह चौंकाने वाली बात नहीं कि जो एफडीआई 17 सालों में आता है, वह एक साल में ही आ आता है। सवाल उठता है कि आखिर नोटबंदी के बाद देश में आए इस एफडीआई में विवेक डोभाल की कंपनी क्या भूमिका थी। जयराम रमेश ने कहा कि कंपनी के दो डायरेक्टर हैं, जिसमें एक विवेक डोभाल हैं तो एक और डॉन डब्ल्यू। इबैंक्स हैं। यह दूसरा शख्स वही है, जिसका नाम पनामा और पैराडाइज पेपर में आ चुका है। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम के बेटे का भी पनामा पेपर्स में नाम आ चुका है।
उन्होंने कहा कि सवाल उठता है कि जिसका नाम पनामा में है, वह कैसे विवेक डोभाल की कंपनी में डायरेक्टर हो सकता है। केमैन आईलैंड गैरकानूनी नहीं बल्कि टैक्स हैवेन है। नोटबंदी और टैक्स हैवेन से एफडीआई आने के बीच जरूर कुछ न कुछ ताल्लुकात है। जब हैवेन से एफडीआई आता है तो उसकी जांच करना चाहिए। कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि अप्रैल 2017 से 2226 प्रतिशत एफडीआई में बढ़ोत्तरी होती है। क्या नोटबंदी के जरिए बीजेपी ने मनी लांडरिंग को संस्थागत करने की कोशिश की।
क्या लिखा है ‘कैरवां‘ पत्रिका ने
जस्टिस लोया की मौत पर बैक टू बैक 27 स्टोरी करने वाली ‘कैरवां’ पत्रिका ने इस बार अजीत डोभाल के बेटो द्वारा उनकी कंपनी की आड़ में किया जाने वाला एक बड़ा मामला खोला है। ‘कैरवां’ पत्रिका ने अपने अंक में शीर्षक दिया है कि ‘डी’ कंपनी का अर्थ अभी तक दाऊद इब्राहीम का गैंग ही होता था, लेकिन भारत में एक और ‘डी’ कंपनी आ गई है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और उनके बेटों विवेक और शौर्य के कारनामों को उजागर करने वाली ‘कैरवां’ पत्रिका की रिपोर्ट में यही शीर्षक दिया गया है। भारत के समाचार चैनल दाऊद को भारत लाने में डोभाल के प्रयासों की कुछ समय पहले जिस प्रकार से प्रशंसा कर रहे थे। कैरवां’ पत्रिका 2019 की जनवरी में डोभाल को ‘डी’ कंपनी का तमगा दे दिया है।
मामले को उठाने में ‘कैरवां’ पत्रिका में कौशल श्रॉफ नाम के एक खोजी पत्रकार ने अमेरिका, इंग्लैंड, सिंगापुर और केमैन आइलैंड से दस्तावेज़ जुटाकर डोभाल के बेटों की कंपनी का खुलासा किया है। ‘कैरवां’ पत्रिका के अनुसार ये कंपनियां हेज फंड और ऑफशोर के दायरे में आती हैं। टैक्स हेवन वाली जगहों में कंपनी खोलने का मतलब ही है कि संदिग्धता और नैतिकता का प्रश्न आ जाता है। यह कंपनी नोटबंदी के मात्र 13 दिन बाद 21 नवंबर 2016 को टैक्स केमन आइलैंड में विवेक डोभाल द्वारा पंजीकरण करवाया जाता हैं। कैरवां के एडिटर विनोद होज़े ने ट्वीट किया है कि नोटबंदी के बाद विदेशी निवेश के तौर पर सबसे अधिक पैसा भारत में केमैन आइलैंड से आया था। 2017 में केमैन आइलैंड से आने वाले निवेश में 2,226 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई थी। अब इसका मतलब सीधे भ्रष्टाचार से है या महज़ नैतिकता से।
2011 में अजित डोभाल ने एक रिपोर्ट लिखी थी कि टैक्स चोरी के अड्डों पर कार्रवाई करनी चाहिए और उनके ही बेटे की कंपनी का नाम हेज फंड बनाकर कारोबार करने के मामले में सामने आता है। विवेक डोभाल की कंपनी के निदेशक हैं डॉन डब्ल्यू ईबैंक्स और मोहम्मद अलताफ मुस्लियाम। ईबैंक्स का नाम पैराडाइज़ पैपर्स में भी आ चुका है। ऐसी कई फर्ज़ी कंपनियों के लाखों दस्तावेज़ जब लीक हुए थे, तो ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने भारत में पैराडाइज़ पेपर्स के नाम से छापा था। उसके पहले इसी तरह फर्ज़ी कंपनियां बनाकर निवेश के नाम पर पैसे को इधर से उधर करने का गोरखधंधा पनामा पेपर्स के नाम से छपा था। पैराडाइस पेपर्स और पनामा पेपर्स दोनों में ही वॉकर्स कॉरपोरेट लिमिटेड का नाम है, दावो के अनुसार यह विवेक डोभाल की कंपनी की संरक्षक कंपनी है।
‘कैरवां’ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि विवेक डोभाल की कंपनी में काम करने वाले कई अधिकारी शौर्य डोभाल की कंपनी में भी काम करते हैं। इसका मतलब यह हुआ है कि कोई बहुत बड़ा फाइनेंशियल नेटवर्क चल रहा है। इनकी कंपनी का नाता सऊदी अरब के शाही खानदान की कंपनी से भी है।
कारवां पत्रिका के उक्त रिपोर्ट को पढने के लिये आप उस पत्रिका के साईट पर अथवा नीचे दिये हुवे लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते है
https://caravanmagazine.in/business/ajit-doval-sons-cayman-islands-hedge-fund-vivek-shaurya