टूटती क़लम
(इमरान सागर)
क़लम उसे बिरासत में मिला! उसने क़लम को अपनी पुस्तैनी जाग़ीर समझ कर इस्तमाल करना शुरू किया, तो क्षेत्र से काफी दूर उसके नाम का डक्का बजने लगा! समय बदलता गया लेकिन पुरानी हो चुकी उसने अपनी कलम को बदलने तक का कभी नही सोचा! समय बदलने के साथ मंहगाई चरम पर पहुंचने लगी तो पारिवारिक जीवन शैली में भी बदलाव आना लाज़िम था लेकिन उसके पारिवारिक जीवन शैली का बदलाव बदलते परिवेश की मंहगाई की मार झेलता हुआ धरती की गहराईयों में उतर जाने को बेताब हो रहा था वही कथित प्रकार के कलमों को मंण्डी से खरीद कर विभिन्न प्रकार के व्यत्तिव्त नें क्षेत्र में कलम चलाना क्या आरंभ किया कि ज़मी से फलक की ओर तरक्की नज़र आने लगी! पैदल से साईकिल नही बल्कि सीधे तौर पर मोटर साईकिल पर सबार हो समाचारो पर कम्प्यूटर नुमा महंगी कलम का प्रयोग कर अचानक फोर ब्हीलर और कोठी का जीवन नज़र आने लगा, यह सब देख कभी बिचलित नही हुआ वह हाँ पारिवारिक सदस्यो की तंजकसी का शिकार जरूर होने लग गया! समय बदता रहा, व्यक्तित्व बदलता नही बदला तो बस वही नही बदला बिरासत में कलम का सत्यता से प्रयोग करने का फल उसके सम्मान में उसके हिस्से में एक लोई आई छोटी सी शील्ड के साथ! परिवार के लिए आँखो में सजे सपनो के अन्दर से दो बूंद झलक आई इस उम्मीद के साथ कि देश के लोकतंत्र के चौथे स्थंभ का कौन सा मैटिरियल हूँ जिसे कभी तो कहीं पर जरूर प्रयोग किया जाएगा! समय बदलता रहा और उसका क़लम घिसा तो नही था हाँ टूटने की कंगार पर जरूर पहुंच चुका था,एक दिन वह खुद भी प्रतिमूर्ति बन खुद में ही सिमट कर रह गया और उसका कलम टूट आखिर टूट ही गया! और वह पीछे छोड़ गया बाजार में बिकने कमजोर फैंसी कलम जिनकी दौड़ चन्द रोज़ में थका कर घर के किसी कोने मे छिपा लेती है!