चंद्रा कोचर और उनके पति के खिलाफ ऍफ़आईआर पर दस्तखत करने वाले सीबीआई अधिकारी का हुआ तबादला
अनिला आज़मी
नई दिल्ली आईसीआसीआई की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर के कार्यकाल के दौरान बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को 1,875 करोड़ रूपए के ऋणों को मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के सिलसिले में सीबीआई मामला दर्ज कर सम्बंधित ऍफ़आईआर किया था और चंदा कोचर के पति के ठिकानों पर छापेमारी किया था। इस छापामारी पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सीबीआई को निशाने पर लेते हुवे सलाह दी थी कि महाभारत के अर्जुन की तरह टारगेट पर नजर रखें। इसके बाद अब इस ऍफ़आईआर पर दस्तखत करने वाले सीबीआई अधिकारी का स्थानान्तरण कर दिया गया है। सीबीआई अधिकारी सुधांशु मिश्रा का स्थानांतरण रांची कर दिया गया है। उनका तबादला झारखंड की राजधानी स्थित सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा में किया गया है।
Sudhanshu Dhar Mishra, who was SP of Banking&Securities Fraud Cell of CBI, Delhi has been transferred to CBI’s Economic Offences Branch in Ranchi, Jharkhand. He had signed FIR against Chanda Kochhar, Deepak Kochhar, VN Dhoot&others on Jan 22 in connection with ICICI-Videocon case
— ANI (@ANI) January 27, 2019
बताते चले कि सीबीआई द्वारा बुधवार की रात प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद एजेंसी ने मुंबई और औरंगाबाद में चार स्थानों पर छापे मारे थे। सीबीआई ने वीडियोकॉन समूह, न्यूपावर रिन्यूएबल्स और सुप्रीम एनर्जी के कार्यालयों पर छापे मारे थे। अधिकारियों ने बताया कि वेणुगोपाल धूत के अलावा उनकी कंपनियों वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, सुप्रीम एनर्जी और न्यूपावर रिन्यूएबल्स को भी आरोपी बनाया गया है। न्यूपावर कंपनी का संचालन दीपक कोचर द्वारा किया जाता है जबकि सुप्रीम एनर्जी की स्थापना धूत ने की थी।
सीबीआई ने सभी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं तथा भ्रष्टाचार निवारण कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है। यह आरोप है कि मई 2009 में चंदा कोचर द्वारा बैंक की सीईओ का पदभार ग्रहण करने के बाद ऋणों को मंजूर किया गया और इसके बाद धूत ने दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर में अपनी कंपनी सुप्रीम एनर्जी के माध्यम से निवेश किया। प्राथमिकी में कहा गया है कि सीबीआई इन ऋणों की मंजूरी के सिलसिले में बैंकिंग उद्योग के कुछ बड़े नामों की भूमिका की जांच करना चाहती है। इसमें कहा गया है कि आईसीआईसीआई बैंक के मौजूदा सीईओ संदीप बख्शी, संजय चटर्जी, ज़रीन दारुवाला, राजीव सभरवाल, के वी कामथ और होमी खुसरोखान उन समितियों में शामिल थे जिसने ऋणों को मंजूरी दी। बैंक और अन्य लोगों की ओर से अभी कोई टिप्पणी नहीं की गयी है। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि दिए गए ऋण बाद में गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में बदल गए जिससे बैंक को नुकसान हुआ वहीं आरोपियों और ऋण लेने वालों को अनुचित फायदा हुआ।