जब आपातकाल के दौर में नरेंद्र मोदी बने जॉर्ज फर्नांडिस के गार्ड
अंजनी राय
नई दिल्ली. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रक्षा मंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया. बतौर रक्षा मंत्री उनके कार्यकाल में ही पोकरण में सफल परमाणु परीक्षण किया गया. मजदूरों के मसीहा कहे जाने वाले जॉर्ज फर्नांडिस यूनियन के सबसे बड़े नेता के तौर पर अपनी पहचान रखते थे. साथ ही देश में जब इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल लगाया तो उस वक्त उन्होंने पुरजोर तरीके से विरोध किया। इस दौरान मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनका सामना भी हुआ। कर्नाटक के मंगलौर में पढ़ाई करने वाले जॉर्ज फर्नांडिस को उनका परिवार पादरी बनाना चाहता था। लेकिन उनका इससे मोहभंग हो गया और चर्च छोड़कर वह नौकरी की तलाश में मुंबई चले गए। यहां उन्होंने बहुत ही गरीबी में वक्त गुजारा और चौपाटी पर सोकर रातें बिताईं।
यहीं पर वह सोशलिस्ट पार्टी और ट्रेड यूनियन आंदोलन के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे! आपातकाल के दौरान वह उड़ीसा में थे। इस दौरान वह देशभर में रूप बदलकर घूमते रहे। मछुआरे से लेकर साधु के रूप में वह आपातकाल का विरोध करने एक जगह से दूसरी जगह पहुंचते रहे। कई नेता अंडरग्राउंड थे या जेल में थे। इसी दौरान नरेंद्र मोदी का सामना एक ऐसे व्यक्ति से हुआ जो हरे रंग की लुंगी में था और दाढ़ी रखी हुई थी। जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक, नरेंद्र मोदी ने इस अंडरग्राउंड नेता की सुरक्षा में गार्ड की जिम्मेदारी निभाई। हरे रंग लुंगी पहने वो शख्स जॉर्ज फर्नांडिस थे।
जॉर्ज फर्नांडिस ने आपातकाल के बाद 1977 का लोकसभा चुनाव जेल में रहकर ही लड़ा। वह बिहार की मुजफ्फरपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़े और उन्होंने रिकॉर्ड वोटों से जीत दर्ज की। इसके बाद बनी जनता पार्टी की सरकार में उन्हें उद्योग मंत्री की जिम्मेदारी मिली और बाद में उन्होंने अपनी अलग समता पार्टी बनाई। फर्नांडिस देश के इकलौते रक्षामंत्री रहे, जिन्होंने सियाचिन ग्लेशियर का 18 बार दौरा किया. कहा जाता है कि रक्षामंत्री रहते हुए जॉर्ज के बंगले के दरवाजे कभी बंद नहीं हुआ करते थे। इसके अलावा वह अपने काम के लिए नौकरों का इस्तेमाल नहीं करते थे।