गौरीफंटा रेंजर पर ढाई लाख रूपये लेकर रसीद न देने का आरोप

फारुख हुसैन 

पलियाकलां-खीरी। दुधवा टाइगर रिजर्व की गौरीफंटा रेंज के रेंजर पर थारू क्षेत्र के एक ग्रामीण ने लकड़ी का एक बोटा काटने के आरोप में जुर्माना बतौर ढाई लाख रूपये लेने तथा रसीद न देने का आरोप लगाया है। पीड़ित ने डीएफओ खीरी को प्रार्थना पत्र भेजकर मामले की जांच कराते हुए कार्रवाई करने की मांग की है।

बता दें कि गौरीफंटा रेंजर के कारनामे लम्बे समय से प्रकाश में आ रहे हैं। एक बार फिर से उन पर गम्भीर आरोप लगाया गया है। थारू क्षेत्र के ग्राम सेड़ाबेड़ा सिंगहिया निवासी रमेश पुत्र मोहन ने डीएफओ को एक प्रार्थना पत्र भेजा है। पत्र में कहा गया है कि गौरीफंटा रेंजर ने उस पर लकड़ी का एक बोटा काटने का आरोप लगाया था। इस पर रेंजर ने उसे जेल भेजने की धमकी दी थी, जिससे वह भयभीत हो गया। आरोप है कि रेंजर ने उससे जुर्माना बतौर ढाई लाख रूपये ले लिए और उसकी कोई रसीद नहीं दी। जब उसने जुर्माना अदा करने की रसीद मांगी तो रेंजर ने उसे भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए कहा कि तुम्हें कोई रसीद नहीं मिलेगी।

इतना ही नहीं उसे यह भी धमकी दी कि यदि इस मामले की तुमने किसी से शिकायत की तो तुम्हारे ऊपर लकड़ी काटने का फर्जी आरोप लगाकर जेल भेज दूंगा। पीड़िता का आरोप है कि उक्त रूपया रेंजर ने वन दरोगा के माध्यम से लिया है। इस मामले में फारेस्ट गार्ड तिवारी की भी पूरी मिलीभगत है। पत्र में पीड़ित ने पूरे मामले की जांच कराकर दोषी रेंजर व वन दरोगा के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। विभागीय कर्मचारियों से जानकारी मिली है कि जब किसी से जुर्माना वसूला जाता है तो एच-टू केस का नम्बर दिया जाता है और यह सारी कार्यवाही दो गवाहों के समक्ष होती है। इसके अलावा मुआवजे की ई-3 संख्या भी दी जाती है, लेकिन पीड़ित रमेश को रेंजर द्वारा कुछ भी नहीं दिया गया है। अब देखना यह है कि वन विभाग के अधिकारी रेंजर के खिलाफ कार्रवाई करके पीड़ित को न्याय दिलाने में दिलचस्पी लेते हैं या फिर आपस में ढाई लाख का बंटवारा करके राजस्व को लाखों का चूना लगाते हैं।

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