योगी सरकार में नेताओं और प्रशासन की भेंट चढ़ा एक अच्छा काम करने वाला पुलिसकर्मी

एल. के. मिश्रा 

शाहजहाँपुर/ योगी आदित्यनाथ सरकार कितना ही भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने का प्रयास करे लेकिन सबसे ज्यादा उनके ही लोग भ्रष्टाचार को बडावा दे रहे है। एक तरफ सरकार सट्टा स्मैक जुआ कच्ची शराव रोकने के लिये अभियान चला रही है वही दुसरी तरफ पकड कर लाने वाले सिपाहियों को ही तवादले कि सौगात दी जा रही है । सवाल यह है पहली बात वह अधिकारी क्यों आँखो पर पट्टी बाँध कर उन कर्मचारियो के तवादले करते है जो खुद जानते है । कि इस सिपाही ने बही किया जो कहा गया।

उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहाँपुर मे पुलिस कप्तान के०वी०सिंह के आदेश पर सट्टा लिखने बाले कच्ची शराब बेचने बालो पर धर पकड अभियान चलाया गया जिसमे सूत्रों द्वारा गया है कि चौकी राजघाट के सिपाही अमरीष शर्मा ने आदेश का पालन करते हुये कुछ सट्टा लिखने और लिखवाने बाले व कच्ची शराब बेचने बालो को पकडा लेकिन पकडे जाने के बाद तोहफे के तौर पर उसी सिपाही का तवादला कर दिया गया क्या पुलिस कप्तान नही जानते जनपद मे किस जगह क्या क्या अबैध काम हो रहे है । अगर नही तो कैसे अचानक अभियान चलने के बाद क्यों रोक दिया गया था क्या उस बक्त जिला प्रशासन ने बेदी के आगे घुटने टेक दिये थे इससे पहले भी सट्टे के खिलाफ अभियान चलाया जा चुका था लेकिन फिर लिखा जाने लगा आखिर इतने बर्षो से चल रहे सट्टे को क्यों नही बन्द किया गया क्यों नही पकडा जा रहा सट्टाकिंग बेदी या फिर कप्तान साहब यह बात साफ कर दे कि पशुओ की गाडिया रात को चौकी थानो के सामने से किसके आदेश पर शहर से पास कराई जाती है इतना ही नही जिले मे कुछ मौजूदा सरकार के लोग व पदाधिकारी भी अपनी अहम भूमिका निभा रहे है । क्योकि आपको बता दें जनपद से भूमाफियाओ पर शिकंजा कसने का दबा करने बाली यू०पी०सरकार शायद यह भूल रही है । जनपद मे जितने भूमि कब्जा करने हत्या अपहरण व लूट के मामले सामने आये है । शायद इतने किसी सरकार में एैसी घटनाओ के मामले नही सामने आयें । फिर सजा छोटे कर्मचारियो को ही क्यों क्षेत्र के लोगो द्रारा यह बताया गया कि यह सिपाही अपना काम बडी इमानदारी से कर रहा था लेकिन कप्तान के आदेश पर ही सट्टाकिंग के लेफ्ट हैंड तौसीफ को और भाजपा नेता का सहयोगी शाराब माफिया अब्दुल्लागंज को पकडा गया पकडने के बाद झूठी कम्प्लेंट के आधार पर अमरीष शर्मा का काँट तवादला कर दिया गया कप्तान साहव जरा यह भी समझा दिजिये महीने मे दस गुडबर्क प्रेस कॉन्फ्रेंस मीटिंगों को करने का क्या विभाग खर्च उठाता है । आप अपनी सेलरी से या सरकार खर्च उठाती है जरा  इस पर भी रोशनी डाल दिजिये । यह खर्च आता कहाँ से है मुझे पता है । आप इमानदार हैं लेकिन इस बात को साफ किजियें । आखिर जिम्मेदार छोटा ही कर्मचारी क्यों।

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