राशन वितरण प्रणाली बदहाल,नगरपालिका की लापरवाही से 2700 पात्र राशन कार्ड से वंचित


दबंग कोटेदारों की मनमानी से कार्डधारक बेहाल, उच्चाधिकारियों से की फरियाद

यशपाल सिंह
आजमगढ : इसे ज़िलापूर्ति विभाग की लापरवाही कही जाय या कोटेदरों की दादागीरी। मामला है रेशम नगरी मुबारकपुर की, यहां राशन कार्ड उपभोक्ताओं की परेशानी कम होने के बजाए प्रति दिन बढ़ती जा रही है।बताया जाता है कि एक वर्ष से मुबारकपुर के लोग राशन कार्ड को लेकर इधर उधर मारे फिर रहें हैं परंतु उनकी समस्या समाधान होने के बजाए उलझते जा रहे हैं इसकी एक अहम कारण नगर पालिका परिषद मुबारकपुर प्रसाशन की बड़ी लापरवाही भी है नपा का मानना है कि नगर पालिका का काम मात्र नाली , खड़ंजा, सड़क के निर्माण है न कि किसी के घर राशन पानी पहुंचाना  इसी लापरवाही के कारण मुबारकपुर के लगभग 80 फीसदी बुनकर खाद्य  फुट सिक्योरटी एक्ट के तहत सस्ते गल्ले के पात्र हैं और वह राशन कार्ड से वंचित हो चुके हैं। इस पर अधिक ज़ुल्म यह है कि जो राशन कार्ड बने भी थे तो उसे जिलाधिकारी के एक आदेश के फरमान का बहाना बनाकर नगर पालिका कर्मचारियों ने अपने कार्यालय में बैठक कर 2700   पात्रों को अवैध बताकर उनकी लिस्ट ज़िला पूर्ति विभाग में भेज दी गई। जिसका नतीजा यह निकला कि जो कोटेदारों के यहा नई  लिस्ट आई इसमें से 2700 ऐसे लोगों के नाम गायब हैं जो कई माह से सस्ते राशन पाकर बेफ़िक्री की दाल रोटी खा रहे थे। परंतु नगर पालिका कर्मचारियों व ज़िम्मेदारों की कृपा से इनके मुँह से निवाला छीन लिया गया । कार्ड उपभोक्ताओं के लिए मात्र यही समस्या नहीं है बल्कि कोटेदारों की मनमानी भी किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं है वह कार्ड उपभोक्ताओं को इस तरह से गल्ला देते हैं जैसे कि भिक दे रहें हों , ज़िला पूर्ति विभाग के रिकार्ड और एसएमआई मुबारकपुर अनील कुमार के मुताबिक नगर में कुल 31 और ग्रामीण अंचलों में कुल 91 कोटे की दुकाने चल रही हैं जिनपर हर माह राशन, चीनी, और मिटटी के तेल के वितरण की तारीख तय है साथ ही पूर्ति विभाग के माध्यम से निगरानी में  अधिकारी सभी दुकान पर  अपने सामने गल्ले के वितरण कराएं ताकि उपभोक्ताओं के साथ किसी किस्म की ठगी न हो सके और कार्ड होल्डरों के माध्यम से की गयी शिकायतों को पूर्ति विभाग तक पहुंचाए ताकि कोटेदार से जवाब तलब किया जा सके परन्तु दिलचस्प बात यह है कि पूर्ति विभाग की यह सारी कार्यवाही मात्र कागजों तक ही सिमित है और आज तक किसी भी कोटे की  दुकान पर राशन वितरण के समय किसी निग्राह को नहीं देखा गया। जिसका नतीजा यह है कि कोटेदारों की मनमानी कम होने के बजाए बढ़ती जा रही है ।पता करने पर यह जानकारी हुई कि सभी कोटेदारों के रजिस्टर पर हर माह निगरानी करने वाले अधिकारी के दस्तखत हो जाते हैं जिसे वह  पूर्ति विभाग आजमगढ़ को देखा देते हैं कि हमने उक्त दुकानों पर गल्ला वितरण करा दिया है । और बंधी रकम वसूल कर चलते बन जाते हैं । इस संबंध में नगर के छात्र नेता मो अज़हरुद्दीन अंसारी सोनू, मुजतबा हसन अंसारी मुन्ना,  शफ़िउज़्ज़मा अंसारी, मेराज अहमद, बरकुज़्ज़मा अंसारी, मुमताज़ अहमद आदि का कहना है कि आज तक राशन कार्ड की किसी भी दुकान पर हमने किसी निग्राह अधिकारी की शक्ल नहीं देखी है मात्र कार्ड उपभोक्ताओं को बेवकूफ़ बनाने कि चाल है बल्कि मात्र मोटी रकम वसूल कर चलता बनते हैं लोगों ने जिलाधिकारी सुहास एलवाई से मांग किया कि गल्ला वितरण ईमानदारी से किया जाये और वंचित लोगों के जल्द राशन कार्ड बनवाया जाये ।

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