वाराणसी- कप्तान साहब ध्यान दे कही ये कोई बड़ा आर्थिक घोटाला तो नही होने वाला है
तारिक आज़मी
वाराणसी। अगर कोई आपको कुछ मुफ्त उपहार दे तो मन एक मिनट को खुश तो हो जाता है मगर इस ख़ुशी के बीच दिल में एक शक भी बैठता है कि आखिर ये मुफ्त उपहार क्यों दे रहा है। वही अगर ये उपहार हजारो या लाखो का हो तो शक और गहरा हो जाता है। उसके ऊपर उपहार देने वाला अगर अजनबी हो तो और भी शक गहरा हो जाता है। ऐसे ही शक के दौर से हम भी गुज़र रहे है। आज हम आपको एक ऐसे घटना से रूबरू करवा रहे है जो कही न कही होने वाले बड़े आर्थिक घोटाले की तरफ इशारा कर रही है। एक स्ट्रिंग के माध्यम से हमारे पास इस कंपनी के द्वारा किये जा रहे वायदों का पूरा वीडियो है।
बताते चले कि वाराणसी में शाइन सिटी नाम की एक कंपनी इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम पर कारोबार करने को आई। कारोबार इन्फ्रास्ट्रक्चर का कितना चला इसकी तो बहुत सटीक जानकारी नही है मगर इनके एक प्रोजेक्ट को विवादों का ग्रहण लगा ज़रूर था। इसके बाद ये कंपनी अप्लाइंसेस, ई-कामर्स और टूरिज़म के क्षेत्र में भी अपने कदम बढ़ा लिये। अब इन क्षेत्रो में उसके हाथ कितनी सफलता लगी ये तो कंपनी के मुखिया राशिद नसीम अथवा उनकी कंपनी के वीसी होने का दावा करने वाले इंतज़ार अली उर्फ़ नवाब ये उनकी पत्नी ही बता सकती है। मगर इस कंपनी ने अब जो कारोबार शुरू किया है उसको एक नज़र देख कर तो ऐसा ही लगता है कि शहर में कोई बड़ा आर्थिक घोटाला होने वाला है।
हमारे शक के दायरे में है वाराणसी में हजारो और लाखो का मुफ्त उपहार देने का दावा करने वाली रीयल स्टेट कंपनी शाइन सिटी। हमको ज्ञात हुआ कि ये कंपनी लाखो के छूट के साथ कार और हज़ारो के छुट के साथ स्कूटर और मोटरसायकल दे रही है। हमारी जानकारी में आया कि ये कंपनी ज्यूपिटर जैसी स्कूटर मात्र 32 हज़ार में और पल्सर जैसी बाइक मात्र 52 हज़ार में दे रही है वह भी शोरूम से। हम अपनी जानकारी को पुख्ता किया तो हमारा शक और भी गहरा हो गया और हम इसकी तहकीकात करने के चक्कर में पड़ गया। थोड़ी ही कोशिश के बाद इस कंपनी की एक प्रतिनिधि का टेलीकालिंग नंबर हमको प्राप्त हो गया। हमने इस नंबर पर संपर्क किया और बताया कि हम एक कार लेना चाहते है। इसके बाद तो मैडम का फोन आना शुरू हो गया। हर एक घंटे के बाद मैडम फोन करके कार्यालय बुलाने का प्रयास करने लगी। हम इस उतावलेपन से थोडा अचरज में थे। अपनी पूरी तैयारी से अपने सहयोगी आलोक श्रीवास्तव को साथ लेकर कंपनी के ऑफिस पहुचे। दरवाज़े से ही एक युवक आकर हमको पुरे सत्कार के साथ अपने आलिशान कार्यालय में लेकर गये। जेपी मेहता इंटर कालेज के पास सुजुकी शोरूम की बिल्डिंग के बेसमेंट में इस कंपनी का कार्यालय है। कार्यालय में छोटे छोटे आलीशान किस्म के केबिन बने थे। जिसमे हर केबिन के अन्दर एक पुरुष साहब और कई लडकिया सहकर्मी हर एक केबिन में बैठी थी।
हमको सबसे आखिर के केबिन में जो इंतज़ार अली उर्फ़ नवाब साहब जिनकी नेम प्लेट पर उनको वाईस प्रेसिडेंट लिखा थे के केबिन में बैठाला गया। जनाब वीपी साहब के सहकर्मियों ने हमको बताया कि नवाब साहब अभी गाजीपुर बड़ी डील हेतु गये है वही कंपनी के मालिक राशिद नसीम साहब वर्तमान में दुबई में है। हमको प्लान के बारे में विस्तार से बताते हुवे वीपी जनाब नवाब साहब की पत्नी रीना और उनके सहयोगी शुभम सिंह ने हमको बताया कि हम गाडियों को उस कीमत पर आपको प्रदान कर रहे है जिस कीमत पर कंपनी भी आपको नही दे सकती है। उनकी गाडियों की बताई गई कीमत वाकई इतनी थी कि उस कीमत पर वाकई कंपनी नही दे सकती है। आइये उनके द्वार बताई गई कीमत आपको बताते है।
क्या है इस कंपनी के ज़रिये गाडियों की कीमत और उसके एक्स शोरूम प्राइज
रॉयल इनफिल्ड 350 सीसी जिसकी एक्सशोरूम कीमत एक लाख 33 हज़ार से शुरू है की कीमत इस कंपनी के ज़रिये मात्र एक लाख रुपया पड़ेगी। ज्यूपिटर स्कूटर जिसकी एक्स शोरूम कीमत 53 हज़ार 666 है वह मात्र 32 हज़ार में मिल जाएगी। पल्सर 150 सीसी जिसकी एक्स शोरूम कीमत 79 हज़ार है वह मात्र 52 हज़ार में ये कंपनी देने को तैयार है।
क्या है कार की कीमते कंपनी की और एक्स शोरूम प्राइज
कार की बात करे तो इनके द्वारा दिये गये आफर किसी के भी दिल में लालच भर सकते है। जीप जैसी महँगी कार ये 6 लाख एक्स शोरूम कीमत से कम में दिलवा रहे है। वही स्कार्पियो एस3 जिसकी कीमत दस लाख से अधिक है को यह कंपनी मात्र 6 लाख में देने का दावा कर रही है। इसी तरह आल्टो 800 का दाम इस कंपनी के प्रतिनिधि द्वारा मात्र एक लाख 90 हज़ार में देने का दावा किया जा रहा है जबकि इस कार की कीमत एक्स शोरूम 2 लाख 66 हज़ार से शुरू है। यानि पुरे 76 हज़ार कम में। सब मिला कर ये कंपनी हर गाडी लगभग 40% एक्स शोरूम कीमत से कम देने का दावा कर रही है।
क्या कहती है वाहन कम्पनिया और शाइन सिटी की रीना नवाब
कंपनी के नियत पर हम कोई सवालिया निशान नही लगा रहे है मगर जो बाते उभर कर सामने आई है वह कही न कही से कंपनी के ऊपर मन में एक शक मौजूदा हालातो को देख कर आता है। हम यह बात स्पष्ट रूप से कह रहे है कि जिन कंपनियों की कारे या मोटरसायकल अथवा स्कूटर देने की बात ये कंपनी कर रही है, उसके द्वारा इस दावे की पुष्टि कही से नही हो रही है। कंपनियों के अधिकारियो ने बिना कैमरे के सामने आये साफ़ साफ शब्दों में कहा कि हमारी कीमतों में इतना फर्क नही हो सकता है। कार्पोरेट समझौते के तहत 8-10% की छुट भारी स्टोक एक साथ लेने पर मिल सकती है जो कोई बड़ी बात नही है। मगर इतने अधिक दामो में अंतर संभव नही है। हम अपनी कीमतों पर वाहन बेचते है, अब लेने वाला उसको किसी को मुफ्त में बाट रहा है तो यह उसकी अपनी मर्ज़ी है। वाहन कंपनियों के इस बात की पुष्टि श्रीमती रीना नवाब के द्वारा हमसे भी किया गया कि वाहन कम्पनिया हमको इतनी छुट नही देती है, ये सभी छुट हम अपने तरफ से लोगो को दे रहे है। इसके पीछे उन्होंने कारण बताते हुवे कहा कि हमारे कंपनी की तरफ से एसवीसी नाम से कूपन लाया गया था जो बिट कॉइन की तरह काम करता था। आरबीआई के द्वारा इसको प्रतिबंधित कर दिये जाने के बाद हम उस कूपन को उसकी मौजूदा कीमत से आधे में अपने ग्राहकों से लेते है। इसके बाद हम बकिया पैसा उस कूपन के पैसे से अलग करते है। समझने को तो बात उन्होंने समझा दिया मगर बात थोडा हज़म नही हुई। आखिर जब कंपनी अपने जेब से कीमत दे रही है तो फिर वह उस कूपन के द्वारा बची रकम से दे या फिर अपने जेब से दे बात तो एक ही है। फिर दूसरी बात ये कि कंपनी के कूपन को जब आरबीआई ने बैन कर दिया तो वह कूपन कही चल नही रहा होगा। इसका मतलब जो कूपन कंपनी अपने ग्राहकों से खरीद रही है वह कूपन अपने जेब से खरीद रही है। फिर ये कार अथवा मोटरसायकल देने का क्या औचित्य है ये समझ से बाहर है।
क्या है नियम व शर्ते
सबसे अधिक शक को दिल में बैठने वाली बात ये है कि शाइन सिटी द्वारा ये मात्र बुकिंग किया जा रहा है। अर्थात आप वाहन की उनके द्वारा बताई गई रकम को उनके पास जमा कर देंगे और वह उसके बदले एक रसीद नुमा कागज़ आपको दे देंगे। उसके बाद वाहनों की डिलेवरी आपको 60 से 90 दिनों में मिलेगी। अब सवाल जायज़ हो सकता है उठाना कि जिस रसीद नुमा कागज़ को दिखा कर कंपनी की वाईस प्रेसिडेंट की पत्नी रीना नवाब और प्रतिनिधि शुभम सिंह ने हमको मुतमईन करने की नाकाम कोशिश किया कि वाहन आपको मिल जायेगा। वह मात्र एक कम्प्यूटर द्वारा प्रिंटेड बिल नुमा कागज़ मात्र था। हमने काफी प्रयास किया कि मैडम उस बिल नुमा कागज़ की एक फोटो हमको दे दे मगर उनका कहना था कि ये जब आप पैसे जमा कर देंगे तो आपको खुद मिल जायेगा फिर इसकी फोटो लेकर क्या करना है। खैर उनके दावो के अनुसार अगर बातो को नियमो पर रख कर देखा जाए और कंपनी इस 90 दिनों में वाहन देने में असमर्थ होती है तो किसी प्रकार का कानूनी दावा होता तो नही दिखाई दे रहा है और जवाबदेही केवल और केवल फिल्ड के एजेंट की बनेगी। इसके अलावा अगर हम मान भी ले कि कंपनी दावो के अनुसार पूरी इमानदारी से समय से पुर्व वाहन प्रदान कर दे रही है तो दामो के बीच का फर्क कही न कही से गिफ्ट टैक्स की परिधि में आयेगा, फिर ये टैक्स का भुगतान कौन करेगा और कैसे करेगा क्योकि हम अगर वाहन खरीद लेते है तो कंपनी हमको उसका कोई प्रमाणपत्र तो देगी नहीं कि इतना रुपया बतौर उपहार है। यानी हम बिना उसके प्रमाणपत्र के टैक्स का भुगतान भी नही कर सकते है।
खैर जो भी हो, यदि व्यक्तिगत सोच को देखा जाए तो इस कंपनी के द्वारा किया जा रहा वायदा कही न कही से शक पैदा करता है और जाँच का केंद्र हो सकता है। कंपनी के द्वारा अन्य कई स्कीम ऐसी चलाई जा रही है जो नियमो और कानून के दृष्टि में अपराध के श्रेणी में आता है। हम आपको अगले अंक में बतायेगे कि कैसे मात्र डेढ़ साल में ये कंपनी आपके निवेश को दूना से अधिक करने का दावा कर रही है। सच बताऊ तो अभी पिक्चर तो पूरी बाकी है नवाब साहब। जुड़े रहे हमारे साथ और देखते रहे।