समस्याओं के चलते केले की खेती की ओर बढ़ रहे गन्ना किसान

फारूख हुसैन 
लखीमपुर खीरी=परम्परागत खेती में बढ़ती लागत और फसल का वाजिब मूल्य नही मिलने से हतास क्षेत्र के किसानो में अब केले की खेती से आस बंधी है। क्षेत्र में नगदी फसल के रूप में केले की खेती का रकबा क्षेत्र में बढ़ रहा है। किसानो का कहना है कि गन्ने की बजाय लोग केले की खेती को करना ज्यादा मुफीद पा रहे हैं। लखीमपुर जनपद का किसान गन्ने की फसल पर ही निर्भर हैं।

इसलिए अधिकांश किसान गन्ने की फसल को ज्यादा महत्व देते हुए उस पर मेहनत कर अच्छी उपज करता आ रहा है।परन्तु गन्ने की लागत के हिसाब से मूल्य न मिलने के कारण धीरे-धीरे गन्ना किसान गन्ने की फसल से अपना मोह भंग करता नजर आ रहा है। अच्छी उपज अच्छी लागत देने वाली केले की फसल पर अपनी मेहनत करने लगा है, क्यांकि गन्ने की फसल से ज्यादा केले की फसल पर अधिक पैदावार होती है। अधिकांश किसानो ने अब केले की फसल बोने लगे है।इधर कई सालो से गन्ना किसानो को गन्ने का समर्थन मूल्य न मिलने के कारण काफी हताश हो गये है।वही गन्ना किसानो को चीनी मिल द्वारा भुगतान न मिलने के कारण परेशान होते नजर आ रहे है।क्योकि चीनी मिलो ने किसानो से गन्ना तो खरीद लिया परन्तु भुगतान देने मे किसानो को खून के आंसू रूला दिये जिससे किसानो की अर्थव्यवस्था बिगड गयी और कर्जदार भी हो गये ऐसी स्थिति मे किसानो ने गन्ने की फसल से उनका मोह भंग होता नजर आ रहा है। कस्बा के किसान गोपाल शंकर पाण्डेय ने बताया कि एक एकड मे गन्ने की फसल 80 हजार रूपये मे बिकती है जबकि गन्ने की उपज करने मे किसान का लगभग 25 हजार लागत आती है साथ ही उसकी देखरेख गुडाई ,छिलाई,आदि करानी पडती है लागत के हिसाब से किसानो को समर्थन मूल्य नही मिल पाता है। मोहम्मदी के ग्राम मियॉपुर निवासी प्रगतिशील किसान शिव कुमार सिंह ने बताया कि केले की फसल एक बार लगाने पर दो बार केले की फसल पैदा होती है। उन्होने बताया कि एक एकड मे केले की फसल लगाने मे एक लाख की लागत आती है और लगभग चार लाख की पैदावार एक बार मे होती है। अनुमान लगाया जा रहा है।दो बार फसल काटने पर किसान का लगभग आठ लाख रूपये की पैदावार होती है।लागत हो हटाकर किसान को 6 लाख का फायदा होता है। गन्ने से अच्छी पैदावार केले की खेती से किसानो को लाभ पहुच रहा है जिस कारण किसान गन्ने के बजाय केले की फसल को पैदा करने मे ज्यादा ध्यान देने लगा है।

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