राफेल मुद्दे पर कांग्रेस गड़े मुर्दे उखाड़ रही है – रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण
आफताब फारुकी / आदिल अहमद
नई दिल्ली: राफेल मुद्दे पर एक अख़बार द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट ने आज राजनैतिक उथल पुथल मचा रखी है। इस मुद्दे पर द हिन्दू अख़बार में प्रकाशित खबर को मुद्दा बना कर विपक्ष जहा प्रधानमंत्री पर हमलावर है। अब वही इस मुद्दे पर भाजपा बचाव के मुद्रा में आ गई है। राफेल मामले पर द हिन्दू की रिपोर्ट के हवाले से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ताजा हमले के बाद संसद में भी मामला गरमा गया और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण को लोकसभा में इसका जवाब देना पड़ा।
राफेल के मुद्दे पर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में जवाब दिया और कांग्रेस पर पलटवार किया। राफेल सौदे को लेकर एक अखबार द हिंदू की खबर को सिरे से खारिज करते हुए लोकसभा में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह गड़े मुर्दे उखाड़ने के जैसा है। बता दें कि राहुल ने शुक्रवार की सुबह में ही मोदी सरकार पर रिपोर्ट के हवाले से हमला बोला और कहा कि इस रिपोर्ट ने पीएम मोदी की पोल खोल दी और इसने साबित कर दिया कि प्रधानमंत्री ने राफेल में समांतर बातचीत की है।
लोकसभा में रक्षामंत्री ने आरोप लगाया कि विपक्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों और निहित स्वार्थ से जुड़े तत्वों के हाथों में खेल रहा है और उसका प्रयास गड़े मुर्दे उखाड़ने जैसा है। राफेल सौदे को लेकर एक अखबार की खबर को सिरे से खारिज करते हुए लोकसभा में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, यह गड़े मुर्दे उखाड़ने के जैसा है।” विपक्ष पर निशाना साधते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, विपक्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों और निहित स्वार्थ से जुड़े तत्वों के हाथों में खेल रहा है। उनकी (विपक्ष) वायु सेना को मजबूत बनाने में कोई रूचि नहीं है।’
अखबार की खबर के जरिये लगाये जा रहे प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के आरोपों को खारिज करते हुए सीतारमण ने कहा कि पीएमओ की ओर से विषयों के बारे में समय-समय पर जानकारी लेना हस्तक्षेप नहीं कहा जा सकता है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार के दौरान राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) बनाई गयी थी जिसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं, उसका पीएमओ में कितना हस्तक्षेप था ? उन्होंने कहा कि तब एनएसी एक तरह से पीएमओ चला रही थी। मीडिया की रिपोर्ट के संदर्भ में रक्षा मंत्री ने कहा कि इसमें आचार (एथिक्स) का पालन करना चाहिए था और अगर अखबार चाहता था कि सचाई सामने आए तो उसे तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का बयान भी शामिल करना चाहिए था। पर्रिकर ने कहा था कि इसमें चिंता की कोई बात नहीं है और चीजें अच्छे तरीके से आगे बढ़ रही हैं।
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी वह 4 जनवरी को इस मुद्दे पर बयान दे चुकी हैं। इससे पहले लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मीडिया में आई रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि यह छोटी बात नहीं है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि कांग्रेस लड़ाकू विमान खरीदने को रोक रही है। जबकि हकीकत इसके उलट है। खड़गे ने कहा कि कांग्रेस नीत सरकार के समय 126 लड़ाकू विमान खरीदने की सहमति बनी थी लेकिन 36 विमान खरीदे जा रहे हैं। एक तरफ रक्षा मंत्रालय है और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री कार्यालय है, और कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच करायी जाए तब सचाई सामने आ जायेगी। राफेल विमान सौदे के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सदस्यों की नारेबाजी के कारण शुक्रवार को लोकसभा की बैठक शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। इस दौरान कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल राफेल मुद्दे पर मीडिया रिपोर्ट की कतरन हाथों में लेकर आसन के समीप नारेबाजी कर रहे थे और ‘‘चौकीदार चोर हैं” और ‘‘प्रधानमंत्री इस्तीफा दो” के नारे लगा रहे थे।
क्या कहती है अखबार द हिंदू की रिपोर्ट :
रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस के साथ रफ़ाल सौदे की बातचीत में प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल पर एतराज़ जताया था। अंग्रेज़ी अखबार द हिंदू की ख़बर के मुताबिक रक्षा मंत्रालय तो सौदे को लेकर बातचीत कर ही रहा था, उसी दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय भी अपनी ओर से फ्रांसीसी पक्ष से बातचीत में लगा था। अखबार के मुताबिक 24 नवंबर 2015 को रक्षा मंत्रालय के एक नोट में कहा गया कि प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल के चलते बातचीत कर रहे भारतीय दल और रक्षा मंत्रालय की पोज़िशन कमज़ोर हुई। रक्षा मंत्रालय ने अपने नोट में तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का ध्यान खींचते हुए कहा था कि हम प्रधानमंत्री कार्यालय को ये सलाह दे सकते हैं कि कोई भी अधिकारी जो बातचीत कर रहे भारतीय टीम का हिस्सा नहीं है उसे समानांतर बातचीत नहीं करने को कहा जाए। इस नोट में ये भी कहा गया कि अगर प्रधानमंत्री कार्यालय रक्षा मंत्रालय की बातचीत पर भरोसा नहीं है तो उसे प्रधानमंत्री कार्यालय की अगुवाई में नए सिरे से बातचीत शुरू करनी चाहिए।