भोपाल एनकाउंटर – आखिर फिर क्या है हकीकत, क्या आरोपी जिंदा पकडे जा सकते थे

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो से- साभार गूगल 

भोपाल एनकाउंट पर सियासत गर्म होती जा रही है. घटना के बाद से अब तक कई विडिओ सोशल मीडिया से वायरल हो चुके है. इन विडिओ की सत्यता और वैधानिकता को हम प्रमाणित नहीं कर रहे है मगर यह क्लिप जो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रही है वह इस पुरे घटना क्रम पर ही सवालिया निशान लगा रही है. यदि इन वायरल क्लिप को देख कर आधार माना जाए तो सवाल उठना वाजिब है कि आखिर क्या सभी आरोपियों को जिंदा पकड़ा जा सकता था, इस पुरे घटना के सत्य की जाँच होना अति आवश्यक है क्योकि इस घटना में एक ऐसे इन्सान को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा जिसकी बेटी की शादी को महज़ चद दिन ही बचे है. 

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो से संकलित

आखिरकार  भोपाल सेंट्रल जेल आईएसओ प्रमाणित है. जेल की वेबसाइट पर ये जानकारी फ्लैश करती रहती है. आईएसओ प्रमाणित जेल से आठ क़ैदी, वो भी जिन पर आतंक के मामले के मुकदमे चल रहे हों वो इस जेल से भाग जाते हैं. भागने से पहले ये हेड कांस्टेबल रमाशंकर को स्टील की नुकीली प्लेट्स और चम्मचों से मार देते हैं. प्लेट और चम्मच से मारने पर मौत हो सकती है लेकिन इतनी तेज़ी से तो नहीं हुई होगी जितनी तेज़ी से गोली बंदूक से हो जाती है. इन आठ कैदियों ने रमाशंकर यादव को कहां दबोचा, रमाशंकर के साथ एक गार्ड भी घायल हुआ है. जब दो सिपाहियों पर हमला हो रहा होगा तब क्या जेल में किसी की नज़र उन पर नहीं पड़ी होगी. चाकू, चम्मच और प्लेट्स से क्या इतना बड़ा हमला हो सकता है. रमाशंकर यादव यूपी के बलिया के राजापुर के हल्दीगांव के रहने वाले थे. 9 दिसंबर को उनकी बेटी की शादी होने वाली थी. यादव जी के दोनों ही बेटे सेना में हैं. रमाशंकर यादव की हत्या के कारणों का पता लगना भी बहुत ज़रूरी है.

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो यह दावा कर रहा है कि आतंकवादी 

आत्मा समर्पण करना चाहते थे 

आईजी भोपाल का कहना है कि इन सभी को अलग-अलग बैरकों में रखा गया था जो अलग-अलग सेक्टर में हैं. दो सेक्टर में तीन-तीन थे और एक में दो थे. अगर पुलिस की ये बात सही है कि तीन अलग-अलग बैरकों के सेल में बंद ये आतंकवादी एक साथ एक समय पर दरवाज़े तोड़ कर बाहर आए या चाबी से खोल कर.जबकि नियमो के अनुसार तो चाबी प्रहरी के पास नहीं होनी चाहिए. जेलर के पास होती है. तीन-तीन बैरकों के सेल से बाहर आना, फिर बैरक से आना आसान नहीं है. सेल में भी दरवाज़ा होता है और बैरक में भी दरवाज़ा होता है. सेल और बैरक के ब्लॉक के बीच कैदियों को दो दरवाज़े तोड़ने पड़े होंगे. तब भी जेल के भीतर तैनात सुरक्षाकर्मियों को खबर नहीं हुई. रमाशंकर यादव कहां तैनात थे और उनकी मुठभेड़ इन अपराधियों से कहां होती है. ये जांच का विषय है. अगर ये बैरक से निकल भी भागे तो 16 से 21 फीट ऊंची दीवार क्या सिर्फ चादरों और कंबलों के सहारे फांदी जा सकती है. जब ये इनके सहारे दीवार फांद रहे थे तब जेल की बाहरी दीवार के कोने पर बने वॉच टावर पर तैनात हथियारबंद सुरक्षाकर्मी क्या कर रहे थे. एक सवाल यह भी है कि सेंट्रल जेल की दीवार पर बिजली की तार होती है. क्या उस वक्त बिजली की तार काम नहीं कर रही थी या इन्होंने तार काट दी.
मध्य प्रदेश सरकार ने जेल अधीक्षक, डीआईजी जेल, एडीजी जेल को सस्पेंड कर दिया है. पूर्व पुलिस प्रमुख इस मामले की जांच करेंगे. एनआईए भी जांच करेगी. ये सभी फरार क़ैदी के मार दिये जाने की ख़बर को लेकर भी सवाल होने लगते हैं. अब दो तरह के वीडियो आए हैं. पुलिस कह रही है कि इनकी सत्यता की अभी जांच होनी है.

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के कुछ दृश्य 

एक वीडियो में एक गोली चलाने के बाद एक पुलिसकर्मी इंकार कर देता है क्योंकि वीडियो रिकॉर्डिंग हो रही है. एक और वीडियो आया है जिसका ऑडियो एनकाउंटर की थ्योरी को संदिग्ध करता है. इस वीडियो की भी सत्यता प्रमाणित होनी है.जब पांच हाथ हिलाकर सरेंडर करना चाहते थे तो गोली क्यों मारी गई. इस वीडियो से नहीं लगता कि पांच लोग पुलिस पर हमला करना चाहते हैं. सवाल अभी उठ ही रहे थे कि इन दो वीडियो ने मामले को और भी संदिग्ध बना दिया है. भागे हुए अपराधी आतंकी मामले में आरोपी ज़रूर हैं लेकिन उनके भागने का तरीका और एनकाउंटर के ये वीडियो कई सवाल जोड़ देते हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का बयान एनकाउंटर के ठीक बाद का है. तब तक वीडियो सामने नहीं आया था.

सवाल तब उठा जब राज्य के गृहमंत्री ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि फरार क़ैदियों के पास कोई हथियार नहीं था. उनके पास चाकू और प्लेट थे, जिनकी मदद से वे हत्या करने और भागने में सफल रहे.
यह कहा जा रहा है कि घटना उस वक्त हुई जब ड्यूटी की अदला बदली हो रही थी. तब तो जेल में अतिरिक्त सतर्कता होनी चाहिए. एक पल के लिए मान भी लें तो क्या सब इतने बेपरवाह थे, ड्यूटी बदलने के वक्त कि आठ कैदी भाग निकले. ड्यूटी की अदला बदली के वक्त क्या बैरकों या सेल के ताले भी खोले जाते हैं. जम्मू कश्मीर के उड़ी में भी यही बात आई थी कि यूनिट की अदलाबदली के बीच आतंकवादियों ने फ़ायदा उठाकर हमला कर दिया. ज़रूरत है कि हम सीमा से लेकर जेल के भीतर तक ड्यूटी और यूनिट की अदला बदली के समय विशेष रूप से सतर्क रहें. बहरहाल जेल से भागने के बाद इनके पास हथियार कहां से आ गए. क्योंकि पुलिस का कहना है कि इन्होंने पुलिस पर गोली चलाई.
आई जी योगेश चौधरी का कहना है कि सिमी एक्टिविस्ट के पास से चार देसी बंदूक और तीन तेज़ धार वाले हथियार बरामद हुए हैं. लेकिन एक वीडियो में सुनाई देता है कि तीन भाग रहे हैं और पांच खड़े होकर बात करने का इशारा कर रहे हैं. सवाल ये भी हैं कि अगर पुलिस का दावा सही है तो इनके पास भागने के चंद घंटे के भीतर इतने हथियार वो भी बंदूक कैसे आ गई. अगर किसी गिरोह ने इनकी मदद की है तो वो कहां थे. क्या वे हथियार देकर लापता हो गए. यह भी जांच का विषय होना चाहिए. कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने इस घटना पर सवाल किया है. कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस घटना पर राज्य पुलिस को शाबाशी दी है 

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