रामचरितमानस एक ग्रंथ ही नहीं मर्यादा का महासागर है -मानस कोकिला विजयलक्ष्मी
बापूनन्दन मिश्र/मुकेश यादव
रतनपुरा (मऊ): रामचरितमानस मात्र एक ग्रंथ ही नहीं मर्यादा का महासागर है ,यह कहना है मानस कोकिला विजय लक्ष्मी शुक्ला के ! वह भीमहर मेआयोजित शतचंडी यज्ञ में गुरुवार को हजारों श्रद्धालु जनों को संबोधित कर रही थी !श्री राम चरित्र मानस मर्यादा का महासागर इसका हर एक पात्र मर्यादा की सीमा रेखा में बन्धा हुआ है !भगवान राम को बनाने में अयोध्या की गद्दी पर बैठा कर राजा बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका माता कैकेई और पिता दशरथ की है ,जो त्याग दशरथ कैकेई ने राम को राजा बनाने के लिए किया वहअतुलनीय है ऐसा देखने को नहीं मिलता है ,वल्कल वस्त्र पहनकर राजा राम जब अयोध्या की नगरी से निकले और 14 बरस बन में रहकर जो कठिन परिश्रम किया है 1 ईसाई हम सब के लिए प्रेरणादायक है !
रावण जैसे अहंकारी राजा का विनाश कर मर्यादा पुरुषोत्तम राम अयोध्या लौटे तो वे मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहे गये ! कैकई और दशरथ के अलावा अगर सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका किसी का दिखता है तो वह माता सुमित्रा का! जब लक्ष्मण राम और सीता के साथ बनवास के लिए निकले तो माता सुमित्रा ने कहा था बेटा तुम राम का ध्यान रखना तुम राम के लिए जा रहे हो ,और भी कभी 14 वर्ष के वनवास की अवधि में राम के सिवा और का नाम न लेना और कोई दूसरा विचार मन में न लाना ! मानस कोकिला ने राम के त्याग जीवन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि वास्तव में माता पिता और गुरु काआशीर्वाद ही व्यक्ति को उसके शिखर तक ले जाता है ,राम को राजा राम बनाने में माता पिता और गुरु का योगदान अतुलनीय है !
मानस कोकिला ने पुलवामा में हुए आतंकी हमले पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व में यह संकट की घड़ी है शहीद सैनिकों ने राष्ट्रीय एकता और अखंडता की कुर्बानी दी है !वह कुर्बानी इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगी !लेकिन अब समय आ गया है देश के विघटन कारी ताकतों के खिलाफ जंग लड़ी जाए ! उन्होंने 2 मिनट का मौन रखकर सभी लोगों के साथ शहीद सैनिकों को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की !