बलिया – साहेब इस मोहल्ले में भी इन्सान रहते है जहा आप महीने-महीने बिजली नहीं देते है.
नूरुल होदा खान, सिकन्दरपुर
बिजली इन्सान की मूलभूत आवश्यकताओ में से एक है. अगर एक दिन बिजली न मिले तो लगता है दिनचर्या थमी थमी सी है. जब एक दिन की यह स्थिति है तो फिर आप सोचिये कि जहा महीने- महीने बिजली नहीं मिलती है उस इलाके के लोगो का क्या होता होगा. आइये आज आपको एक ऐसे इलाके से रूबरू करवाते है जहा बिजली महीने महीने तक नहीं आती है. जो धन से मजबूत है वह तो जेनरेटर से काम चला भी लेते है मगर गरीबो का क्या साहेब वह तो अमीरों कि हवेली से छन कर आने वाली रोशनी को ही अपना मान लेता है और उस एक मद्धिम रोशनी से ही अपना काम चला लेता है.
बलिया जनपद का सबसे विकसित टाउन अगर किसी को कहा जायेगा तो वह शायद सिकंदरपुर ही होगा. उसी विक्सित सिकंदरपुर के बस स्टेसन से मेंन मार्केट और सेन्ट्रल बैंक तक के निवासी एवं दुकानदारों को ट्रांसफार्मर जलने के कारण महीनो महीनो अँधेरे में रहना पड़ता है। मोहल्ले वासियों एवं दुकानदारों का कहना है कि जब ट्रांसफार्मर जल जाता है तो उसे लगने में महीनों लग जाता है और हर 10 दिन के अंदर या लगने के तुरंत बाद ही जल जाता है महीने में 4 बार ट्रांसफॉर्मर लगा है और बार बार जलने के बाद भी सम्बंधित विभाग के कानो पर जू भी नहीं रेंग रही है कि यदि लोड अधिक होने से बार बार ट्रांसफार्मर जल जा रहा है तो लोड बढ़ा दिया जाए. वही अचम्भे की बात यह भी है कि अभी तक किसी नेता अथवा जनप्रतिनिधि ने इस सम्बन्ध में कुछ कभी सोचा ही नहीं. वही बिजली के लिए तरसते लोगो को इंतज़ार अब आने वाले चुनावो का है, क्षेत्रिय नागरिको का कहना है कि इस चुनाव का हम लोग बहिष्कार करेगे. जब किसी जन प्रतिनिधि को हमारी समस्या से कोई फर्क नहीं पड़ता है तो फिर हम अपना वोट देकर उनको अपना जनप्रतिनिधि क्यों चुने.
जब हमने इस सम्बन्ध में क्षेत्रिय अभियंता से बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने रटा रटाया जवाब देते हुवे कहा कि हमने ट्रांसफार्मर डिमांड भेज दी है अब जब आगे से ट्रांसफार्मर आएगा तभी तो हम लगवा पायेगे. मगर साहेब से जब हमने पूछा कि साहेब जब लोड कि अधिकता के कारण बार बार ट्रांसफार्मर जल जा रहा है तो आप क्यों नहीं लोड बढ़ाने का प्रस्ताव विभाग को देते है इसपर उन्होंने यह कहकर बात टाल दी कि बड़े साहेब इस पर विचार कर रहे है.