डीआईओएस यौन शोषण प्रकरण- सरकारी कार्यवाही से कोर्ट संतुष्ट नहीं, सुनवाई 27 को
मो आफताब फारूकी
इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जिला विद्यालय निरीक्षक इलाहाबाद राजकुमार यादव के खिलाफ सेक्सुअल उत्पीड़न के आरोप पर राज्य सरकार से कार्यवाही की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने कहा कि यादव को निलंबित क्यों नहीं किया गया और अपराध की प्राथमिकी क्यां दर्ज नहीं की गयी।
प्रदेश सरकार के अधिवक्ता रामानंद पाण्डेय ने कोर्ट को बताया कि प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को जांच का आदेश दिया है। रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही की जायेगी। कोर्ट ने कहा कि जांच व विवेचना में अंदर है। जांच कर बरी करने की कोर्ट अनुमति नहीं दे सकती। शिकायतों की प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना की जानी चाहिए। कोर्ट ने प्रमुख सचिव से 27 अक्टूबर को कार्यवाही रिपोर्ट मांगी है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने नीलेश कुमार मिश्रा की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता मनीष गोयल व राधेकृष्ण पांडेय ने बहस की। इनका कहना है कि सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक ने शिकायतों की जांच की जिसमें 6 महिला अध्यापिकाओं का सेक्सुअल उत्पीड़न की रिपोर्ट दी गयी है। याचिका में प्राथमिकी दर्ज करने एवं विभागीय जांच करने की मांग की गयी है। कोर्ट ने स्थायी अधिवक्ता से जानकारी मांगी थी कि क्या कार्यवाही की गयी। शिकायत यादव के बीएसए पद पर तैनाती के दौरान की गयी है। अब वह डीआईओएस है। कोर्ट ने कड़ा लहजा अपनाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की विशाखा केस की गाइडलाइन के तहत विभागीय व अपराधिक कार्यवाही की जानी चाहिए। निरीक्षक के अधिवक्ता को कोर्ट ने सुनने से इंकार करते हुए कहा कि कोर्ट शिकायतों पर सरकार की कार्यवाही प्रक्रिया की जानकारी करे नहीं तो आदेश दिया जायेगा। स्थायी अधिवक्ता का कहना था कि विभागीय रिपोर्ट नियमानुसार नहीं है। जिलाधिकारी ने अस्वीकार कर दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि पर जिम्मेदार अधिकारी को पत्रावली के साथ मौजूद रहने का निर्देश दिया है।