दो कंपनी आरएऍफ़ और दो कंपनी पीएसी बल लगा कर भी प्रशासन लाट साहब को जूते खाने से नही बचा पाया
आदिल अहमद
शाहजहांपुर। प्रशासन ने इस बार पूरी व्यवस्था किया था। प्रशासन का सख्त निर्देश था की कोई लाट साहब को इस बार जूते नही मारेगा। इसके लिए प्रशासन ने आरएएफ की दो कंपनियां तथा पीएसी बल की दो कंपनियां तैनात की थीं। मगर इसके बाद भी आज लाट साहब जूते से पीटे गए। प्रशासन हाथ मलता रह गया और लाट साहब पुरे जुलूस में जूते खाते रहे। यही नही परंपरा के अनुसार उनको झाड़ू से पंखा भी झला गया।
बताते चले कि उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में होली पर निकलने वाले लाट साहब का जलूस विश्व विख्यात है। अंग्रेजी हुकूमत में गवर्नर को लाट साहब कहा जाता था। अग्रेजो द्वारा हुवे ज़ुल्मो सितम के आक्रोश में लाट साहब का जुलुस परंपरागत तरीके से हर साल होली के दिन निकलता है। इस जुलूस में बैलगाड़ी पर तख़्त रखकर एक व्यक्ति को हैलमेट पहनाकर उस पर लाट साहब के प्रतीकात्मक बैठा दिया जाता है। इस प्रतीकात्मक लाट साहब को हेलमेट इस वजह से पहनाया जाता है ताकि जूते से चोट न लगे। जुलूस के पुरे रास्ते प्रतीकात्मक लाट साहब को झाड़ू से पंखा झला जाता है। यही नही पुरे रस्ते उनके ऊपर जूते पड़ते रहते है। जुलूस के दौरान हुरियारे लाट साहब की जय बोलते हुए उन्हें जूते मारते रहे।
इस बार प्रशासन ने शांति व्यवस्था के मद्देनज़र पहले से घोषणा किया था की लाट साहब को इस बार कोई जूते नही मारेगा। मगर हो नही सका ऐसा। वैसे तो जुलूस शांतिपूर्वक संपन्न हो गया मगर प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद ‘लाट साहब’ को जूते मारने से नहीं रोका जा सका। जुलूस शहर के चौक क्षेत्र स्थित फूलमती मंदिर में लाट साहब के मत्था टेकने के बाद चौक कोतवाली आया। वहां पर कोतवाल ने लाट साहब को सलामी देने के साथ इनाम भी दिया।
इस बार प्रशासन ने काफी चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था की थी ताकि कोई बवाल न हो। इसीलिए लाट साहब को जूते मारने पर भी पाबंदी लगा दी गई थी, परंतु प्रशासन की कोशिशों के बाद भी हुरियारे लाट साहब को जूते मारते रहे। यह जुलूस शहर के बाद विभिन्न मार्गों पर होते हुए घंटाघर पहुंचा और वहां से घूमता हुआ पुनः चौक क्षेत्र में पहुंचकर सम्पन्न हो गया।