अन्तिम संस्कार के तीन दिन बाद लावारिश अरविन्द की हुई पहचान
आफताब फारुकी
इलाहाबाद। पुलिस की लापरवाही के चलते बिहार के अरविन्द का लावारिश में हो गया अन्तिम संस्कार कर दिया गया। लेकिन छह दिन बाद उसे खोजते हुए उसके परिजन सोमवार को चीरघर पहुंचे और उसकी पहचान किया।
बिहार प्रान्त के सहेरशा जनपद के बसनही थाना क्षेत्र के गोदराम गांव का रहने वाला अरविन्दयादव 35वर्ष को घायलावस्था में 10 अक्टूबर की शाम एक सौ आठ नम्बर की एम्बोलेंश के चालक ने सिविल लाइंस मेवहाल चौराहे के पास से उठा ले और उपचार के लिए स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में भर्ती करा दिया। जहां उसकी कुछ देरबाद मौत हो गयी थी। चिकित्सकों ने पुलिस को सूचना देते हुए शव को चीरघर भेज दिया। वहीं चिकित्सकों की माने तो अरविन्द को उक्त अस्पताल में इससे पूर्व चारबार भर्ती कराया गया था। लेकिन पुलिस एक बार भी उसका नाम व पता जानने का प्रयास नहीं किया और न ही उसके परिजनों का खोजने का प्रयास किया। पुलिस चारोबार खाना पूर्ती करती रही है। न तो चिकित्सकों ने उसके घर खबर भेजने का प्रयास किया और न ही पुलिस ही जहमत उठा सकी। उसकी मौत के बाद भी कोतवाली पुलिस ने महेज खाना पूर्ती करके पंचनामा किया और उसके परिजनों को खोजने का तनिक भी प्रयास नहीं किया। पुलिस समय रहते उसके परिजनों तक खबर देने का प्रयास की होती तो उसके परिजनों को पहले ही पता चल जाता है। हालांकि कोतवाली पुलिस ने लावारिश में अरविन्द का पंचनामा किया और 14 अक्टूबर को पोस्टमार्टम कराने के बाद अन्तिम संस्कार भी करा दिया। उधर किसी के माध्यम से खबर मिलते ही उसका भाई अरूण सोमवार को उसे खोजते हुए पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा तो उसकी फोटो देखकर पहचान की।
अरूण ने बताया कि मेरे भाई अरविन्द की शादी हुई थी लेकिन बच्चे नहीं है। पत्नी भी नहीं है। वह लगभग बीस वर्ष यहां रहे रहा था, छोटी सी दुकान के सहारे अपना खर्च चलाता था, कभी-कभी गांव जाया करता था। लेकिन इधर कुछ दिनों से उसकी कोई हाल चाल नहीं मिल पायी थी। जिससे वह उसे खोजते हुए यहां पहुंचा तो पता चला कि उसकी मौत हो गयी और उसका अन्तिम संस्कार भी लावारिश में कर दिया गया।