पाकिस्तान भेजने वाले गिरिराज सिंह के लिये कठिन है डगर बेगुसराय की

तारिक आज़मी

गिरिराज सिंह को भाजपा का फायर ब्रांड नेता कहा जाता था। अभी पिछले एनडीए की रैली में उन्होंने विवादित बयान देते हुवे कहा था कि जो एनडीए की रैली में नही आयेगे उनको पाकिस्तान चले जाना चाहिये। वैसे बताते चले कि खुद गिरिराज सिंह उस रैली में नहीं पहुच पाये थे। इसके बाद सोशल मीडिया पर गिरिराज सिंह की जमकर खिचाई हुई थी। कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने तो गिरिराज को पाकिस्तान का वीजा देना वाला करार दे दिया था।

गिरिराज को वैसे पार्टी में भले फायर ब्रांड नेता कहा जाए मगर हमेशा दुसरे तीसरे पायदान के नेता की तौर पर क्षेत्र में पहचान रखने वाले गिरिराज को उनकी पसंदीदा सीट की जगह बेगुसराय सीट पर भाजपा प्रत्याशी बना कर उतारा गया। बेगुसराय सीट पर पहले तो राजद ने पत्ता खोलते हुवे उनके खिलाफ मुस्लिम प्रत्याशी उतारा और कन्हैया कुमार को साइड कर दिया। मगर कन्हैया कुमार को सीपीआई ने टिकट देकर चुनाव मैदान में गिरिराज के खिलाफ उतार दिया। इसके बाद गिरिराज ने अपने मन की बात को बाहर निकालते हुवे पसंदीदा सीट न मिलने की बात कही थी।

खास तौर पर गिरिराज सिंह को ये चिंता घर कर गई होगी कि कन्हैया कुमार ने चुनाव की घोषणा करते हुवे वोट विथ नोट का नारा दिया और कहा कि चुनाव लड़ने के लिए आर्थिक सहायता भी चाहिये। वैसे ये पहली बार बिहार की राजनीत में नही हुआ है कि कन्हैया कुमार ने वोट विथ नोट का नारा दिया हो। मगर कन्हैया कुमार जैसा फण्ड भी किसी को पहले नही मिला होगा। मात्र 28 घंटे में कन्हैया कुमार के समर्थको ने उनको 28 लाख का डोनेशन दे डाला। ये कोई छोटी रकम नही होती है। मगर इससे अधिक विपक्ष के प्रत्याशी को चिंता उनके समर्थको के समर्थन से हुई।

कन्हैया कुमार जेएनयु के अध्यक्ष रहे है और उन पर देश द्रोह का मुकदमा विचाराधीन है। कन्हैया पर आरोप है कि उन्होंने जेएनयु में देश विरोधी नारे लगाये थे। आलोचनाओ का शिकार होते हुवे एक लम्बी विवेचना के बाद दिल्ली पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट न्यायालय में पेश कर दिया है। न्यायालय में चार्जशीट आने के बाद अदालत ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार इस बात पर लगाया था कि देश द्रोह के मुक़दमे में दिल्ली पुलिस ने दिल्ली राज्य सरकार से चार्जशीट पेश करने की इजाज़त नही लिया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने मामले में राज्य सरकार से इजाज़त मांगी थी जो केजरीवाल सरकार ने नहीं दिया। तदुपरांत अदालत ने इस प्रकरण को सुनने का आदेश दिया। मामला अदालत में विचाराधीन है। चार्जशीट में देरी पर कन्हैया कुमार ने कई लाइव डिबेट में इस मुद्दे पर सरकार और पुलिस को चैलेन्ज तक किया था। इस प्रकरण में कन्हैया कुमार को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया। अपनी बेबाक वाणी के लिए कन्हैया कुमार कई डिबेट में मोदी विरोधी शब्द बोलते नज़र आये। संबित पात्रा जैसे प्रवक्ता से लाइव डिबेट में उन्होंने उनको भी खरी खरी सुना कर धर दिया था।

कन्हैया कुमार की ये लोकप्रियता कही न कही गिरिराज सिंह को चुनावों में टेंशन देने का काम करेगी। बताते चले कि बेगुसराय सीपीआई का गढ़ माना जाता रहा है। मगर वक्त के साथ इस सीट पर सीपीआई की पकड़ कमज़ोर होती चली गई थी। पिछले चुनावों पर नज़र डाले तो 2014 में हुवे लोकसभा चुनावों में बेगुसराय की सीट पर भाजपा को 39.72 प्रतिशत मत पाकर सीट जीती थी। वही राजद ने 34,31 प्रतिशत मत पाए थे।वही कन्‍हैया कुमार की पार्टी सीपीआई के उम्‍मीदवार को 17,87 फीसद वोट मिले थे। इस समीकरण में ये बात गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनावों में लहर के विरुद्ध भी सीपीआई के खाते में बढ़िया मत प्रतिशत आया था। इस बार कन्हैया कुमार ने इस टक्कर को और भी रोचक बना दिया है। कन्हैया कुमार के आने से लड़ाई और भी ज़बरदस्त हो सकती है और लड़ाई त्रिकोणीय हो सकती है।

अब अगर मतदाताओ की बात किया जाए तो बेगुसराय में लगभग पीने पांच लाख वोटर है, जो भूमिहार है और ये भाजपा के ट्रेडेशनल वोटर है। वही दुसरे तरह कन्हैया कुमार भी भूमिहार इससे भूमिहारो के वोटो का विभाजन भाजपा को सता रहा है। जब्को दूसरी तरफ मुस्लिम वोटर लगभग ढाई लाख है।इन वोटो के ऊपर नज़र रखते हुवे तनवीर हसन को आरजेडी ने उतारा है। वही यादव वोटर्स भी यहाँ बड़ी भूमिका निभा देते है। इसीलिए शायद भाजपा के लिए इस बार डगर आसन होती तो नही दिखाई दे रही है।

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