मऊ, कोपागंज थानाध्यक्ष साहेब – आपको कैसे पता कि यह गाय तस्करी की नहीं थी.

संजय ठाकुर.
मऊ. पुलिस अधिक्षक शिव हरी मीना जितना मर्ज़ी सख्ती दिखा ले. जितनी भी कड़ी कार्यवाहिया कर ले मगर उनके अधिनस्त है कि कार्यशैली बदलना बहुत दूर की बात रही उसके लिए सोचते भी नहीं है. गौ तस्करी रोकने को पुलिस अधिक्षक खूब जोर लगाये है, मगर यहाँ यह हाल है कि गायो से भरी पिकअप सामने से थाने के गुज़र जाती है और कोई पुलिस वाला रोक कर पूछना भी सही नहीं समझता है.

घटना ब्रहस्पतिवार को शाम 5 बजे के लगभग है जब क्षेत्र से एक पिकअप पर लदी तीन गाये गुज़र रही थी. पिकअप पर नंबर प्लेट भी नहीं होने के वजह से लोगो को शक हुआ. इस बीच जब यह वाहन हमारे सामने से गुज़रा तो हमने अपना कौतूहलता के समाधान हेतु थानाध्यक्ष को फ़ोन कर नियम जानना चाहा, उनको पूरी घटना बताया और पूछा साहेब कितने गायो को एक साथ लेकर चला जा सकता है ऐसे. तो थानाध्यक्ष कोपागंज का जवाब भी अचंभित करने वाला था. उन्होंने कहा देखिये इसकी मुझको जानकारी तो नहीं है मगर इतने लेकर तो चल ही सकते होंगे. क्योकि कौन दोपहर में या शाम को तस्करी करेगा जिसको करना होगा तो रात गए करते है.
कुछ देर बात उक्त वाहन थाने के ठीक सामने से गुज़रा आप वीडियो में देख सकते है कि थाने के सामने से होकर गुज़रे इस वाहन को किसी ने सिर्फ जानकारी हेतु भी नहीं रोका और पिकअप फर्राटा भरते हुवे चली गई. अब थानेदार साहेब ने कह दिया तो कह दिया. बस समझ के परे एक बात नहीं आई है थानेदार साहेब सोचा पूछ किया जाय. साहेब क्या आपके यहाँ दोपहर और शाम को अपराध नहीं होता है क्या. गाये दुधारू नहीं हो सकती ये क्योकि अगर दुधारू होती तो साथ में बछड़ा भी रहता. अगर मान भी ले कि नियमो के तहत जा रहे थे तो भी एक बार पूछ लेने में क्या हर्ज ही था साहेब. अब साहेब हम तो ठहरे खबरची हमको खबर मिल गई 

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