प्रज्ञा ठाकुर के चुनाव लड़ने पर रोक से किया अदालत ने इनकार, याचिका हुई ख़ारिज मगर………
तारिक जकी
मुंबई: एक तरफ तो खबर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के लिए राहत की है मगर वही दूसरी तरफ अदालत की टिप्पणी उनके लिए चिंता का सबब बन सकती है। शहीद हेमंत करकरे को कथित श्राप देने की बात कहने वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को आज मुंबई की एनआईए अदालत ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने साल 2008 में हुए मालेगांव विस्फोट में मारे गए एक युवक के पिता की याचिका को खारिज कर दिया। बताते चले कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी हैं और फिलहाल जमानत पर हैं। वे बीजेपी के टिकट पर मध्य प्रदेश के भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं।
मालेगांव विस्फोट में अपने बेटे को खोने वाले निसार सैयद ने ठाकुर को चुनाव लड़ने से रोकने की मांग करते हुए पिछले सप्ताह अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अपनी याचिका में उन्होंने यह भी कहा कि ठाकुर की जमानत रद्द करने की मांग करने वाली एक याचिका उच्चतम न्यायालय में लंबित है। एनआईए के विशेष न्यायाधीश वीएस पडालकर ने याचिका खारिज करते हुए कहा है कि वकील भली-भांति जानते हैं कि यह उचित मंच याचिका के लिए नहीं है। न्यायाधीश ने कहा, इस अदालत ने जमानत नहीं दी। गलत मंच चुना गया है।
वही दूसरी तरफ साध्वी के वकील जेपी मिश्रा ने कोर्ट में कहा कि साध्वी यह बताने के लिए चुनाव में खड़ी हैं कि देश में हिंदू आतंकवाद जैसी कोई चीज नहीं है। साध्वी देश और विचारधारा के लिए चुनाव लड़ रही हैं। साध्वी को जमानत सिर्फ बीमारी के आधार पर मिली थी, ये बात गलत है। साध्वी को जमानत मेरिट पर मिली थी। साध्वी की तबियत पहले से अब ठीक है लेकिन अब भी एक डॉक्टर हमेशा साथ में रहता है। हालांकि अदालत ने वकील से कहा कि आप अपनी सीमा लांघ रहे हैं। ज्यादा भावुक मत बनिए। इस पर वकील ने कहा कि मुझे पीड़ा हुई है, मैं दुखी हूं, इसलिए भावुक हो रहा हूं।
इसके पहले याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि, हमारा मुद्दा यह नहीं है कि वह बीमार हैं या इलाज करवा रही हैं, हमारा मुद्दा है वह कोर्ट के समक्ष झूठ बोल रही हैं। याचिकाकर्ता ने अपने बेटे को खोया है, वह इंसाफ चाहता है। उसका पब्लिसिटी से कोई लेना देना नहीं है, जैसा कि साध्वी ने अपने जवाब में दावा किया है। साध्वी टीवी पर चलती फिरती दिखाई दे रही हैं, प्रचार करती हुई दिखी हैं।
याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी दावा कि याचिकाकर्ता का कोई राजनैतिक इरादा नहीं है और उसका राजनीति से कोई लेना देना भी नहीं है। जैसा कि साध्वी द्वारा उसके जवाब में आरोप लगाया गया। सुनवाई के दौरान रोज कोर्ट न आना पड़े इसलिए छूट देने की याचिका में साध्वी ने कहा था कि वे बीमार हैं, लेकिन यह झूठ है। वे अदालत को को गुमराह कर रही हैं।
सुनवाई के दौरान जज ने याचिकाकर्ता के याचिका पर हस्ताक्षर न होने के कारण उनके वकील को फटकार लगाई और सवाल किया कि क्या यह कोर्ट का मजाक है? साथ ही जज ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने यह आपत्ति साध्वी की एप्लीकेशन के दौरान क्यों नहीं दर्ज कराई थी? अदालत ने साध्वी के जवाबी दस्तावेज पर हस्ताक्षर न होने के लिए उनके वकील को भी आड़े हाथों लिया।
मालेगांव 2008 बम धमाके की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को लोकसभा चुनाव लड़ने से रोकने के लिए दायर अर्जी पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को क्लीन चिट नहीं दी गई है। एनआईए की विशेष अदालत ने कहा है कि साध्वी के खिलाफ प्रथम दृष्टया सबूत नहीं है, गलत है। एनआईए की विशेष अदालत के न्यायाधीश वीएस पडालकर ने यह भी कहा है कि साध्वी के खिलाफ आरोप तय हुआ और मुकदमा भी चल रहा है। साध्वी के खिलाफ आरोप खारिज नहीं हुए हैं।
गौरतलब है कि अदालत के रुख से एनआईए के साथ-साथ साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के लिए भी बड़ा झटका है। क्योंकि अपने चुनाव प्रचार के दौरान वे लगातार खुद को निर्दोष कहती रहती हैं। अदालत में सुनवाई के दौरान साध्वी का पक्ष रखने वाले वकील जेपी मिश्रा का कहना था कि एनआईए की क्लीन चिट को न मानने वाली अदालत के फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की गई है। एनआईए ने क्लीनचिट दी है, ये तो सच है। अदालत ने उसे नहीं माना और मुकदमा चल रहा है ये भी सत्य है। मुकदमा चलने का मतलब आरोप सिद्ध होना नहीं होता। दरअसल भले ही ये फैसला साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को वक्ती राहत दे रहा है मगर अदालत की बातो पर अगर तवज्जो दिया जाये तो ये दूरगामी सन्देश भी हो सकता है।