रो पड़ी पत्थर कि भी आँखे जब मासूम ने दी माँ-बाप दोनों को एक साथ मुखाग्नि

अखिलेश सैनी
बलिया। मां-बाप की चिता पर मासूम धनंजय ने जैसे ही मुखाग्नि दी, सबकुछ ठहर गया। गंगा की लहरें थम गयी। कुछ देर के लिए वातावरण खामोशी की चादर ओढ़ लिया। मौजूद हर शख्स की आंखें डबडबा गयी। किसी की जुबां से बोल नहीं निकल रहे थे।

वाक्या दुबहर थाना क्षेत्र के बेयासी गांव से जुड़ा है। बिहार राज्य के नाजीरगंज, सारण से परवल की लत्ती लेकर इलाहाबाद जा रहा डीसीएम बुधवार की रात गाजीपुर में दुर्घनाग्रस्त गया था, जिसमें पांच मजदूरों की मौत हो गयी थी। मृतकों में एक मजदूर बैरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत उदईछपरा गांव निवासी विमला देवी पत्नि किशुन चौधरी थी, जिसका अंतिम संस्कार गाजीपुर में ही कर दिया गया। वहीं चार मजदूर दुबहर थाना क्षेत्र के बेयासी निवासी शिवकुमार साहनी पुत्र जगदीप साहनी व इनकी पत्नी राधिका देवी के अलावा विमला देवी पत्नी लल्लन साहनी शामिल है। इनका शव प्रधान संजीव कुमार मिश्र बिट्टू के सहयोग से गांव लाया गया। अंतिम संस्कार के दौरान शिवकुमार का 14 वर्षीय पुत्र धनंजय ने मां और पिता को मुखाग्नि दी। बता दे कि शिवशंकर के पांच संतान है, जिसमें सबसे बड़ी बेटी नेहा 18 साल की है, जबकि सबसे छोटा पुत्र लवकुश छह साल का है। दूसरी बेटी संजलि 10 व बड़ा बेटा राजकुमार 16 साल का है। इन बच्चों की परवरिश कैसे होगी? कौन होगा इनका तारनहार? यह सवाल यक्ष बन गया है।

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