सुप्रीम कोर्ट 2015 में ही ख़ारिज कर चूका है राहुल गाँधी के ब्रिटिश नागरिकता के सबूतों को, तत्कालीन सीजेआई ने दिया था अपीलकर्ता को ये कठोर टिप्पणी

आफताब फारुकी

चुनावी माहोल में एक बार फिर राहुल गांधी को विदेशी नागरिक बताने वाली बाते होना शुरू हो गई है। देश में चुनावी माहोल अपने चरम पर है। चुनावों के लिए सभी दल अपने अपने दाव खेल रहा है। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को ब्रिटेन की भी नागरिकता रखने के शिकायत पर गृह मंत्रालय ने नोटिस भेज दिया है। मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। बताते चले कि इस बार भी शिकायतकर्ता भाजपा सांसद सुब्रमणियम स्वामी ही है।

इस प्रकरण पर हमने एक बार फिर जैसे शब्द का प्रयोग किया है। इसका कारण ये है कि वर्ष 2015 में इससे सम्बंधित एक पीआईएल सुप्रीम कोर्ट में भी दाखिल हुई थी। याचिका वकील एम एल शर्मा ने दायर की थी, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने फर्जी बताया था। यही नहीं सर्वोच्च न्यायालय ने नागरिकता से सम्बंधित सबूतो को भी ख़ारिज कर दिया था।

न्यायालय ने उस समय दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए थे। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूछा था, “आपको कैसे पता कि ये दस्तावेज प्रामाणिक है?” उस समय अधिवक्ता शर्मा द्वारा सुनवाई पर जोर दिए जाने पर न्यायमूर्ति दत्तू ने शर्मा से कहा था, “मेरी सेवानिवृत्ति के बस दो दिन शेष बचे हैं। आप मुझे मजबूर मत कीजिए कि मैं आपके ऊपर जुर्माना लगा दूं।”

राहुल गांधी का इस सम्बन्ध में कहना था कि इस तरह का कोई आवेदन ब्रिटिश गृह विभाग में उपलब्ध होगा। रपटों के अनुसार, उन्होंने कहा था कि उन्होंने कभी भी ब्रिटिश नागरिकता पाने की कोशिश नहीं की और यह शिकायत उनकी छवि खराब करने की एक साजिश का हिस्सा है।

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