यमन युद्ध में सऊदी गठबंधन कितना असहाय नज़र आ रहा है
पेंटागन ने दावा किया है कि हाल ही में अल-हौसी लड़ाकों ने जिस मिसाइल से संयुक्त अरब इमारात के एक सैन्य जहाज़ को ध्वस्त किया है, वह ईरान निर्मित है। पेंटागन के इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बहराम क़ासमी ने कहा है कि इस प्रकार के दावे यमन पर हमला करने वालों की मजबूरी को दर्शाते हैं।
क़ासमी का कहना था कि ईरान के ख़िलाफ़ यमनी सैनिकों को हथियार देने का आरोप ऐसी स्थिति में लगाया जा रहा है, जब यमन की ईंट से ईंट बजाने और निहत्थी जनता के जनसंहार के लिए सऊदी अरब बड़े पैमाने पर अमरीकी युद्धक विमानों और हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पश्चिमी देशों ने सऊदी अरब को हथियारों की आपूर्ति में ऐसी स्थिति में वृद्धि कर दी है, जब यह बात सिद्ध हो गई है कि रियाज़ ने यमन में युद्ध अपराध किए हैं और बच्चों के अधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन किया है।
ईरान के ख़िलाफ़ पेंटागन के इस दावे के साथ ही सऊदी सेना के प्रवक्ता अहमद अल-असीरी ने भी इसी प्रकार का दावा करते हुए कहा है कि यमन पर सऊदी गठजोड़ के हमले का उद्देश्य भी यमन को ईरान के घटक में बदलने से रोकना है।
अल-असीरी वही सऊदी सैन्य अधिकारी हैं, जिन्होंने यमन पर हमले के साथ ही यह एलान किया था कि यह युद्ध केवल कुछ ही दिन चलेगा। लेकिन आज यमन के ख़िलाफ़ डेढ़ वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन यमनी सेना और अंसारुल्लाह आंदोलन के प्रतिरोध के सामने सऊदी गठबंधन पूरी तरह असहाय नज़र आ रहा है। सऊदी अरब अपनी इस मजबूरी के लिए ईरान समेत कुछ अन्य देशों पर यमनी स्वयं सेवी बलों के समर्थन का आरोप लगा रहा है