पिता व्यवहार से कुपित होकर बनी पाषाण – धरा माँ बारह देवी का रूप

कानपुर नगर।  उस परम शक्ति की अनुभूति का वर्णन हो सकता है ।  परन्तु वाणी मौन होकर भी अंतःकरण को आनन्द प्रदान करती है। परमारध्या भगवती के नाम अनेक है, नाम अनेक है ओर अनंत शक्तियां है। चराचर जगत के कण कण में व्याप्त उनके समस्त स्वरूप कल्याणकारी है। जिन्हे अनुभूतित करते हुये भक्त निहाल होते रहते है। कानपुर नगर के दक्षिण का गौरव कहा जाने वाला जूही स्थित मां बराह देवी का मंदिर सम्पूर्ण नगर के लियेे परम श्रृद्धास्पध स्थान है।

कानपुर के दक्षिण क्षेत्र में बसा जूही स्थान जहाँ माँ भगवती बारह देवी जी का मंदिर बना हुआ है । यहाँ रहने वाले क्षेत्रवाशियों के  अनुसार आज से लगभग 400 वर्ष पहले इस मंदिर की स्थापना हुई थी।
लठुवा बाबा, की बेटियो ने धरा माँ बारह देवी का रूप
इस मंदिर के बारे में किदवंती है कि जहां ये मंदिर स्थल है वहां से कुछ दूर अर्रा गांव में लठुवा बाबा, की बारा कन्याऐं थी, उनमें से जो सबसे बडी बहन थी उसका विवाह अर्रा गांव में तय कर दिया गया। बडे ही धूम-धाम के साथ उसकी बारात दरवाजे आई और रात्रि में जब भांवरे पड रही थी उसकी समय उसके पिता द्वारा अनुचित व्यवहार से कुपित होकर छठवीं भांवर के समय पूरी बरात समेत अपने तप के प्रभाव से पाषाण कर दिया और स्वयं भी पत्थर में परिवर्तित हो गयी। उक्त स्थान पर एक नीम का पेड हुआ करता था जहां कालांतर में सात प्रकार की मूर्तिया प्राप्त हुई है। उस काल के दौरान में यह सात बहने कही जाती थी। जिससे यह प्रमाणित होता है कि ये उन्ही सात बहनों के प्रतीक चिन्ह है। 

पुरातत्व विभाग ने भी प्रमाणित किया है यहाँ का रहस्य
यह बात पुरातत्व विभाग ने भी प्रमाणित मानी है। जिसमें पांच बहने बर्रा गांव में अभी भी स्थापित है। आगे चलकर उन देवियों में एक तेली को स्वपन देकर अपनी उपस्थिति का आभास कराया और उक्त मंदिर के चार बडे (चारो दिशाओं में) गेट बने हुये है एवं गगनचुंबी गुंबज चैराहे से दिखाई देते है। उक्त मंदिर का कई बार जीणोद्धार हो चुका है।

सात पीढ़ियों से तल्लीन है कल्लू माली का परिवार माँ की सेवा में
गत सात पीढियों से मंदिर की सेवा में रत कल्लू माली का परिवार है। उनके बेटे बहू और नाती अब मंदिर की सेवा में हिस्सा लेते है। उनके परिवार के की एक सदस्य ने बताया की मंदिर में दोनेां नावरात्रों में भव्य मेले का आयेाजन हुआ करता है। जो कि नगर के बडे मेलो में प्रचलित है। यहां की क्षेत्र रक्षक देवी के रूप में मानने वाले कुछ संप्रदाय यहां मुण्डन संस्कार, विवाह संस्कार व अन्य संस्कारों को कराते है। 
चलो माँ बराहदेवी धाम, जहां बनते है बिगडे काम
मंदिर में अपनी सात बहनों के साथ बिराजी वराहदेवी भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण करती है और यहां आने वाला हर भक्त यह कहता है-
  
भक्तों पर करती हो कृपा हर पल, भक्त वत्सला कहलाती हो।

होय विमल ह्रदय शीतल जिनका, बल, बुद्धी, ज्ञान बढाती हो।।

—कैसे पहुंचे माँ के धाम —-

कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन से लगभग आठ किलोमीटर दूर दक्षिण में बसा जूही स्थान जहाँ माँ भगवती बारह देवी जी का मंदिर बना हुआ है । यहाँ माँ के दर्शनों को आने के  लिए भक्त ओटो रिक्शा ,चार पहिया वाहनों तथा दो पहिया वाहनों के द्वारा भी आ सकते है 

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