नन्हे रोज़दार अदीब शेख से हार गई मौसम में गर्मी की शिद्दत

ए जावेद

वाराणसी। रोज़ा हिम्मत और अकीदत का नाम है। रोज़े रखने वालो पर अल्लाह की रहमत नाजिल होती है और गैब से उसको भूख और प्यास से लड़ने की ताकत मिलती है। बड़े तो बड़े जो मासूम बच्चे है उनके भी जज्बे इस रमजान के महीने में बुलंद होते है। कुल 15 घंटे के लगभग बिना कुछ खाये बिना एक बूंद पानी का पिये रह जाना एक हिम्मत का ही काम है।

पाक रमजान का महिना शुरू हो चूका है। आज तीसरा रोज़ा है। रोजदार अल्लाह की रजा की खातिर खुद को भूखा प्यासा रखकर अल्लाह की हम्दो सना करने में मशगुल है। इस शिद्दत की गर्मी में सूरज जब लगता है दो हाथो की दूरी पर आकर रुका है उसमे प्यास की तड़प को अपनी अकीदत से ठंडा करना बड़ी बात होती है। रोजदारो के आगे गर्मी की शिद्दत भी घटने टेक देती है।

ऐसा ही मामला वाराणसी के कोइला बाज़ार के रहने वाले शेख जव्वाद के मात्र 8 साल के साहबजादे स्मिथ स्कूल में कक्षा 4 के छात्र अदीब शेख का सामने आया। अपने वालदैन और घर के और भी बड़े लोगो को रोज़ा रखते देख अदीब शेख ने जिद्द पकड़ लिया कि मैं भी रोज़ा रखूँगा। माँ बाप और घर के बड़ो ने काफी समझाया मगर मासूम ने अपनी जिद्द कायम रखी। कल बुधवार को वक्त-ए-सहर उठकर घर वालो के मना करने के बावजूद अल्लाह की जिक्रो फिक्र में इस मासूम ने सहरी कर रोज़ा रख लिया।

मासूम रोजदार के आगे पहले तो सूरज और गर्मी की शिद्दत ने काफी आँखे दिखाई मगर मासूम रोजदार के आगे आखिर मौसम और गर्मी की शिद्दत ने अपने घुटने टेक दिये। मासूम अदीब शेख के इफ्तार के वक्त हुआ तो घर के बड़े और मोहल्ले के लोगो  ने अदीब को बधाई दी तथा साथ में बैठ कर रोज़ा इफ्तार किया। वालदैन के हाथो तोहफे मिलने से अदीब की खुशिया दुनी हो गई है। क्षेत्र में इस मासूम छोटे रोज़ेदार की चर्चा जोरो पर है। सभी इस मासूम के हिम्मत और जज्बे की तारीफ कर रहे है।

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