वाराणसी – रूहअफज़ा के नाम पर क्या जारी है ब्लैक मार्किटिंग, एजेंसी मालिक पर गंभीर आरोप, कभी भी फुट सकता है गुस्सा

तारिक आज़मी

वाराणसी. वैसे भारत में हमदर्द का शरबत रूहअफज़ा अपने वाणिज्यिक नीतियों के कारण हमेशा से सवालिया घेरे में रहा है। मगर बतौर रेफ्रेशिंग शर्बत इसके मुकाबले कोई और है भी नही। रूहअफज़ा की खास खपत रमजान के महीनो में बढ़ जाती है। रमजान में मुस्लिम इलाको में भी रूहअफज़ा की मांग लगातार बनी रहती है। मगर वाराणसी में रूहअफज़ा के एजेंसी मलिक संजय जायसवाल पर दूकानदार गंभीर आरोप लगा रहे है।

दुकानदारों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि संजय जायसवाल जो रूहअफज़ा एजेंसी के मालिक है और पाण्डेयपुर निवासी है चौकाघाट स्थित ट्रांसपोर्ट से ही अपना कारोबार रूहअफज़ा का कर रहे है। मुस्लिम इलाको के दुकानदारों ने संजय जायसवाल पर गंभीर आरोप लगते हुवे कहा है कि संजय जायसवाल छोटे दुकानदारों की रोज़ी मारने की नियात से उनको माल नही दे रहे है और साथ ही अगर देने को तैयार हो रहे है तो ओवर रेटिंग कर रहे है। यही नही दुकानदारों का आरोप है कि एजेंसी मालिक के द्वारा मुसिलम दुकानदारों की उपेक्षा किया जा रहा है। मुस्लिम बाहुल इलाको के दुकानदार और मुस्लिम दुकानदारों को माल की सप्लाई या तो मिल ही नही रही है अथवा मिलती भी है तो दाम अधिक देना पड़ता है।

कुछ दुकानदारों ने बताया कि शहर में रूहअफज़ा के स्टोक की कमी नही है मगर संजय जायसवाल के द्वारा माल गलत तरीके से वितरित किया जा रहा है। वैसे जानकार सूत्रों की माने तो सप्ताह में तीन गाडी रूहअफज़ा चौकाघाट स्थित छविमहल के निकट एक ट्रांसपोर्ट पर आता है। यहाँ से ही एजेंसी मालिक माल की सप्लाई शहर के विभिन्न हिस्सों में करता है। सप्लाई तो दूर रही मौके पर दुकानदारों द्वारा माल आने पर खरीदने की भीड़ लग जाती है। मगर दुकानदारो का आरोप है कि एजेंसी मालिक उनको माल या तो ओवर रेट से देता है अथवा देता ही नही है। वही एक दुकानदार ने तो यहाँ तक कह दिया कि इस प्रकरण में कभी भी बड़ा हंगामा हो सकता है। इस मामले पर एजेंसी मालिक संजय जायसवाल को कई बार काल करने के बावजूद भी उन्होंने फोन नही उठाया, वही कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर शैलेश में हमसे फोन पर बात होने पर बताया कि कंपनी द्वारा मांग के अनुरूप सप्लाई नही किया जा पा रहा है। कारण उसका प्रोडक्शन में कमी है। इसके अतिरिक्त आरोप सभी निराधार है हमारे द्वारा पिछले साल के डाटा अनुरूप ही सप्लाई हो रही है। ये एक अलग बात है कि मांग के अनुरूप हम उसकी पूर्ति नही कर पा रहे है तो माल सप्लाई में कुछ कमी आ सकती है। मगर पक्षपात किसी प्रकार का नही हो रहा है। फिर भी शिकायते अगर मिलती है तो हम उसका संज्ञान लेकर कोई कमी पाये जाने पर दूर करेंगे।

बताते चले कि कंपनी के द्वारा एक योजना के तहत अपने प्रोडक्ट्स को दो हिस्सों में बाट दिया गया है। एच-1 के तहत उन उत्पादों को रखा गया है जिसके बिक्री हेतु ड्रैग लायसेंस की आवश्यकता नही होती है। जैसे रूहअफज़ा, रोगन बादाम, सुआलीन, नौनिहाल पचनोल आदि। वही दुसरे हिस्से एच-2 के तहत उन उत्पादों को रखा गया है जिनके बिक्री हेतु ड्रग लायसेंस की आवश्यकता होती है। कंपनी की इस पालिसी से अन्य वितरको में भी असंतोष की भावना घर कर रही है। अन्य वितरक जो एच-2 श्रेणी में आते है का कहना है कि हम साल के 11 माह उन उत्पादों को बेचने हेतु प्रयासरत रहते है जिनकी बिक्री नही है। वही साल के एक माल कुछ आमदनी कमाने का मौका आता है जिसमे बिकने वाला उत्पाद रूहअफज़ा हम बेच कर चार पैसे कमा लेते है। कंपनी ने ऐसी स्थिति कर दिया है कि पिछले साल तक जिसने एक हज़ार पेटी रूहअफज़ा बेचा था उसकी केवल दस पेटी रूहअफज़ा दे दिया जा रहा है।

वही एच-2 के वितरको ने आरोप लगाते हुवे बताया कि बिग बाज़ार जैसी वाणिज्यिक संस्थानों को बड़ी मात्र में माल दे दिया गया है। उनका भाव भी हमसे कम होने के कारण हम नुकसान में सौदा बेचने को मजबूर हो जाते है। एक वितरक ने उदहारण देते हुवे कहा है कि बिग बाज़ार वाराणसी को 2 दिनों में 200 पेटी रूहअफज़ा की सप्लाई दे दिया गया है। अब आप बताये हम अपना माल लेकर कहा जायेगे ?प्रकरण में कंपनी के रीजनल हेड नाज़िश से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया मगर उनके द्वारा फोन नही उठाया गया है,

बताते चले कि हमदर्द का शरबत रूहअफज़ा की भारत में हो रही शार्टेज पर पाकिस्तान रूहअफज़ा ने तंजिया लहजे में माल अपने यहाँ से भेजने को कहा था। उसके इस तंज़ पर सोशल मीडिया पर जमकर उसकी खिचाई हुई थी।

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