देखे – छोटी जनसभा के भारी हुजूम में बोले राजबब्बर, भाजपा अपनी हार देख बौखला गई है
ए जावेद
वाराणसी. उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं सांसद राज बब्बर ने आज जनसभा में कहाकि भाजपा वर्तमान चुनाव में पराजय के अनुमान से घबड़ाई हुई है, जिससे उनकी सोच की अभिव्यक्ति और भाषा का स्तर गिरता जा रहा है। नेहरू को कोसने, शहीद सैनिकों के नाम वोट मांगने और राजीव गांधी से हेमंत करकरे तक को शहीदोपरांत अपमानित करने के बाद यह लोग राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या और हत्यारे का महिमामंडन तक करने और उनके हत्यारे नाथू राम गोडसे को राष्ट्रवादी बताने तक नीचे उतर चुके हैं। यह चुनावों के बीच हताषा से उपजे राजनीतिक पतन की पराकाष्ठा है।
उन्होंने कहाकि कल प्रियंका गांधी के साथ जिस तरह काशी के हर तबके का हुजूम एक जनसैलाब बन कर चला, उसने बनारस के चुनावी रुख का पता बता दिया और यह साफ हो गया कि कांग्रेस अपने प्रत्याशी अजय राय की जीत की गंभीर लड़ाई में है। यह लडाई खरगोश और कछुए की रेस की तरह इतिहास रचने का चौंकाने वाला परिणाम देने जा रही है। कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय राजनीतिक संघर्ष की भट्ठी में तप कर निकले हीरे की तरह हैं और इसीलिए अपनी माटी के उस जूझारू सपूत को काशी के लोगों ने अपनाने का आगाज दिखाया है।
जयनारायण कालेज, रेवड़ी तालाब में जनसभा के बीच उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी जैसे घातक फैसलों ने अर्थव्यवस्था को भारी आघात पहुंचाया और किसान, व्यापारी, युवा, कामगार सभी आहत हुये। इससे जहां अच्छे दिन का नारा देकर बनी सरकार से लोगों का भरोसा टूटा, वहीं दूसरी ओर राफेल जैसे अपूर्व घोटाले ने सरकार की साख को रसातल में पहुंचा दिया। काला धन लाने और सबको पंद्रह लाख देने के अपने वादों को जुमला बता देने वाली इस सरकार को बदल डालने का मानस देश भर में आम जनता बना चुकी है।
कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय तथा कांग्रेस प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने पितरकुंडा, कछवां रोड चौराहा, भीखमपुर, ककरमत्ता एवं पुलिस लाइन चौराहा आदि में चुनावी सभाओं को सम्बोधित करते हुये कहाकि कांग्रेस काशी की अस्मिता और काशी के विकास की लड़ाई लड़ रही है। सभाओं में संजीव सिंह, प्रमोद पाण्डेय, चौ.सत्यवीर सिंह, सीताराम केशरी, अनिल श्रीवास्तव, डा.प्रमोद पाण्डेय, वीरेन्द्र कपूर, हर्ष वर्धन सिंह, ईश्वर दयाल पाठक, नागेन्द्र सिंह, प्रो.सतीश राय, सुभाष मौर्य, खुन्नी तिवारी, अरशद खान, तनवीर अली, इस्लाम भाई, अब्दुल्ला खान, मयंक चौबै, विनय सादेजा, कब्बन, वकील अहमद-प्रधान आदि शामिल थे।