जिस देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था ………..
मो0 नदीम की कलम से
हिंदुस्तान को आज़ाद कराने में हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियो ने अपने प्राणों की आहुति के साथ-साथ अपनी धन संपत्ति अपना परिवार यहाँ तक की अपने परिवार की खुशियाँ भी देश पर न्योछावर कर दी थी ताकि आने वाली नस्ले आज़ादी की हवा में सास ले सके और कोई भी किसी की गुलामी ना करे चारो तरफ अमन चैन और आपसी भाई चारा हो यही सपना देश पर मर मिटने वाले शहीदों ने देखा था
जिस देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था आज उसी चिड़िया को खुद को देशभक्त कहलाने वाले भ्रस्टाचारी नोच-नोच कर खा रहे है अपने फायदे के लिए इंसानो का लहू पीने वाले इन पिशाचों का कोई धर्म ईमान नहीं है सत्य की उठती आवाजो को दबा देना इनके लिए आम बात है हमारे देश के अधिकारी जो खुद को देशभक्त भारतीय कहते नहीं थकते है बगैर रिश्वत लिए कोई भी काम करना अपनी शान के खिलाफ समझते है हमारे देश का ऐसा कोई भी विभाग नहीं है जहाँ शायद ही बिना रिश्वत के कोई काम होता हो हॉस्पिटल से लेकर शमसान घाट तक रिश्वत रूपी दानव गरीबो को नोचता नज़र आएगा आज़ादी के बाद हमारे देश का ऐसा प्रचण्ड विकास हुआ बेचारा गरीब और गरीब होता चला गया अमीर बुलंदिया पर पहुचकर आसमानों को छूकर दुनिया को मुट्ठी में कर रहा है और गरीब बेचारा विकास रूपी बहाव में खुद को डूबने से बचाने में लगा हुआ है दूसरी तरफ धन्य है हमारे आज़ाद देश के नेता जो देश की मासूम जनता से हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाकर वोट तो ले लेते है लेकिन जीतने के बाद इन नेताओ को जनता की कोई भी समस्या नज़र नहीं आती है ऐसे है हमारे लोकतंत्र के नेता जिस देश रूपी कश्ती को शहीदो ने तूफ़ान से निकाला था आज उसी कश्ती को हमारे देश के ही भ्रष्टाचारी डुबोने में लगे हुए है और हमारा आपसी भाई चारा धर्म(मज़हब)की आड़ में ख़त्म कर देना चाहते है हमे इन भ्रष्टाचारियो को मुह तोड़ जवाब देना होगा और अपना भाई-चारा सदैव बनाये रखना होगा हमारी आज़ादी के लिये शहीद हुए शहीदों की कुर्बानी को हम व्यर्थ नहीं जाने देंगे आइये हम सब मिलकर कसम खाते है कि देश के अन्दर छुपे उन कीटाणु रूपी भ्रष्टाचारियो का खात्मा करके ही दम लेंगे जो हमारे देश को खोखला कर रहे है