वन कर्मियों पर थारू जनजाति की महिलाओं से अभद्रता का बड़ा आरोप
फारुख हुसैन
गौरीफंटा। थारू जनजाति की आदिवासी महिलायें संविदा कर्मचारियों के बीच मारपीट का मामला आज प्रकाश में आया है। बताते चले कि 2 दिन पुर्व वन विभाग कर्मचारियों व महिलाओं के बीच मारपीट की सूचना जैसे ही गांव को पहुंची महिलाओं की भारी संख्या में भीड़ कोतवाली गौरीफंटा मैं जमा होने लगी।
महिलाओं का आरोप था कि 15 जून 2019 की शाम करीब 6 बजकर 30 मिनट पर वनबीट संख्या 3 नम्बर के जंगल के पास से जब दिन में अपने पारम्परिक अधिकार व ऐतिहासिक वनाधिकार कानून-2006 व संशोधन-2012 में मान्यता दिये गये अधिकार के तहत जंगल के ताल से मछलीमारण करके लौट रहीं थीं, तब गाव वापिस आने के रास्ते में वनविभाग की दुधवा व बनकटी रेंज की टीम के वनरक्षक मनोज, ओपी, सतीश, श्रीकृष्ण, शंकर लाल, नरेन्द्र व वाचर ध्रुव, विजय कुमार, धोखेलाल, बहीदार, कल्लू, घुम्मन, प्रदीप व बद्री नारायण ने करीब 30 अन्य अज्ञात वनकर्मियों के साथ मिल कर हम महिलाओं को रास्ते में रोक लिया और 10-10 हजार रुपयों की सभी महिलाओं से मांग करने लगे।
महिलाओं ने आरोप लगाते हुवे बताया कि जब उनसे कहा कि मछली मारना उनका वनाधिकार कानून के तहत अधिकार है, तो रिश्वत क्यों दें ? तब रेंजर मनोज ने अगुआई करते हुए महिलाओं को बलात्कार की धमकी देते हुए हवाई फायर किये और महिलाओं के संवेदनशील अंगों को छेड़-छाड़ करते हुए पूरे दल-बल के साथ हमला बोल दिया। महिलाओं ने आरोप लगाया कि वे महिलाओं के अनुसूचित जनजाति से होने के कारण जाति सूचक व बहुत भद्दी व गंदी गालियां देते हुए लाठी चार्ज करने लगे। जिससे कई महिलाओं के कपड़े फाड़ दिये गये व बुरी तरह से जख्मी कर दिया गया।
घायल महिलाओं ने आरोप लगाते हुवे बताया कि वनकर्मियों ने उनके संवेदनशील अंगों के साथ छेड़छाड़ करते हुए इनके कपड़े भी फाड़ दिये गये। जब इनमें कई महिलाओं के माथे व अन्य शरीर के हिस्सों पर लगने वाली चोटों से खून बहने लगा तो वे डरकर गन्दी-गन्दी गालियां देते हुए व बलात्कार व जान से मारने की धमकी देते हुए हवाई फायर करते हुए वहां से भाग गये।