मुजफ्फरपुर – मिले नरमुण्ड और नर कंकालो को लेकर आखिर क्यों है हंगामा
तारिक आज़मी
मुजफ्फरपुर. बिहार का मुजफ्फरपुर इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है। चमकी बुखार से यहाँ सौ से अधिक बच्चे काल के गाल में समां चुके है। इसी जिले को लेकर बिहार सरकार की स्वास्थ व्यवस्था इस समय सवालो के घेरे में है। जिस दिन यहाँ केंद्रीय स्वास्थ मंत्री डॉ हर्षवर्धन और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रस्तावित दौरा होने वाला था उसके पहले यहाँ 19 नरकंकाल बरामद हुवे थे,
श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पीछे वन क्षेत्र वाले हिस्से में शनिवार को नरकंकालों का ढ़ेर मिलने से सनसनी फैल गई थी। मामला इतना गंभीर बन गया था कि स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल सेक्रेटरी कौशल किशोर ने अस्पताल प्रशासन को तत्काल तलब किया और जांच के आदेश दे दिए। अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन ने उस समय कहा था कि मिले नरकंकाल उन 19 लावारिस लाशों के हैं, जिनकी सामूहिक अंत्येष्टि 17 जून को उस स्थान पर की गई थी। बाद में सवाल यह भी उठे कि चूंकि वह इलाका अस्पताल परिसर के अंदर आता है, इसलिए वहां शवों को नहीं जलाया जा सकता। कई मीडिया चैनलों पर ऐसी भी खबरें चलीं कि मुख्यमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य के एसकेसीएचएम के दौरे से ठीक पहले लाशों को ठिकाने लगाने के लिए परिसर में आनन फानन में जला दिया गया।
लेकिन इस मामले में जो नई खबरें निकलकर आ रही हैं वो और भी चौंका देने वाली है। गुरुवार को मुज़फ़्फ़रपुर के सभी शीर्ष स्थानीय अखबारों में यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित किया है कि नरकंकाल मामले में गठित जांच दल ने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है। उस रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि वहां से कुल 70 नरमुंड तथा कंकाल बरामद किए गए थे। जबकि अस्पताल प्रबंधन शुरू से यह कहता आ रहा है कि उस जगह पर 19 शवों के ही नरकंकाल थे।
इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी अलोक रंजन घोष ने बयान जारी करते हुवे कहा कि ऐसी कोई रिपोर्ट अभी तक हमारे पास नहीं आई है। इस सम्बन्ध में जब हमने जिलाधिकारी से बात किया तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मैं तब तक कुछ नहीं कहता हूँ जब तक आधिकारिक तौर पर कुछ पता नहीं चलता, न्यूज छापने की होड़ में खबर की एक जांच तक करने की ज़हमत नहीं उठाते हैं लोग। हो सकता है कि खबर सही भी हो, पर मेरे पास इस तरह के आंकडों की जानकारी नहीं है।