फौजी बनना कोई मजाक नहीं है।

गांव का कोई लड़का जब सेना का जवान बनने का सपना देखता है, तो उसकी सुबह रोज़ 4 बजे होती है । उठते ही वह गांव की पगडंडियों पर दौड़ लगाता है, उम्र यही कोई 16-17 साल की होती है । सेना में जाने की तैयारी में दिन-रात एक कर देता है, उसके इस एक सपने से घर में बैठी जवान बहन, बूढ़ी मां और समय के साथ कमज़ोर होते पिता की ढ़ेरों उम्मीदें ही नहीं जुड़ी होती हैं, बल्कि जुड़ा होता है एक सच्चे हिन्दुस्तानी होने का फ़र्ज़। फ़ौजी बनना कोई मज़ाक नहीं है। फौज़ी इस देश की शान है, मान है, और हमारा अभिमान है। देश सेवा के लिए फौजी हमेशा तत्पर रहते हैं। इन्हें न प्रांत से मतलब है और न ही धर्म से, इन्हें तो मतलब है, बस अपने देश से । ये सर कटा सकते हैं मगर मां भारती के दामन पर कोई दाग नहीं लगने देंगे । नमन है सभी सैनिकों को।

वन्देमातरम…

अखिलेश सैनी पत्रकार PNN24 न्यूज बलिया

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *