काँप उठा खौफ से सोनभद्र जब ज़मीन पर कब्ज़े को लेकर खेली गई खून की होली, 9 की मौत
ए जावेद
वाराणसी. संपत्ति विवाद में सोनभद्र जिले में 9 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दिया गया है। घटना में हुई अंधाधुंध फायरिंग में कुल 20 लोगो के ज़ख़्मी होने का समाचार प्राप्त हो रहा है। घायलों में कई की हालत गम्हीर बताई जा रही है। घटना का मुख्य कारण जमीन विवाद बताया जा रहा है। फायरिंग में 6 लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं।
घटना के सम्बन्ध में प्राप्त समाचारों के अनुसार सोनभद्र के घोरावल कस्बे के उभ्भा गांव में जमीन को लेकर विवाद हुआ था। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची घोरावल पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। घटना की सुचना मिलने पर पुलिस अधीक्षक खुद घटनास्थल पहुंचे। घटना के सम्बन्ध में जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल ने बताया कि गोली चलने से नौ लोगों की मौत हो गई है।
घटना के सम्बन्ध में विवरण देते हुवे स्थानीय पुलिस ने बताया कि सपाही गांव प्रधान यज्ञ दत्त और उनके समर्थकों ने जमीन विवाद में दूसरे पक्ष पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दी। मामले की जांच की जा रही है। घायलों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। जहां यह वारदात हुई है वह जगह सोनभद्र के जिला मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज से 55-56 किलोमीटर दूर है।
घटना का मूल कारण बताया जा रहा है कि यज्ञ दत्त नाम के एक ग्राम प्रधान ने इलाके में करीब 90 बीघे जमीन 2 साल पहले खरीदी थी और वह उसी जमीन का कब्जा लेने पहुंचा था। यहां स्थानीय लोगों ने उसका विरोध किया जिसके बाद प्रधान के साथ आए लोगों ने कथित रूप से गांव वालों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। बताया जा रहा है कि प्रधान के तरफ से 20 ट्रैक्टरों में भरकर 300 लोग घटना स्थल पर ज़मीन पर कब्ज़ा लेने पहुचे थे। घटना के बाद से प्रधान यज्ञ दत्त फरार है।
गौरतलब है कि यह इलाहा गौड़ और गुर्जर आदिवासियों का बाहुल्य क्षेत्र है। यहाँ के गुर्जर बिरादरी के लोग दूध बेचने का काम करते हैं। यह इलाका जंगलों से घिरा है और यहां ज्यादातर वनभूमि है। चूंकि यहां सिंचाई का कोई साधन नहीं है इसलिए ये स्थानीय लोग बारिश के मौसम में बरसात के पानी से वन भूमि पर खरीफ के मौसम में मक्के और अरहर की खेती करते हैं।
इस इलाके में वन भूमि पर कब्जे को लेकर अक्सर आपसी झगड़ा होता रहता है। आपको याद दिलाते चले कि यह वही क्षेत्र है जहा वर्ष 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 6000 बीघे वनभूमि में 5 लाख पेड़ एक ही दिन में लगवाए थे।