भाजपा को जोर का झटका देने वाले दोनों विधायक बोले “यह घर वापसी है”

अनिला आज़मी

भोपाल : भाजपा को मध्य प्रदेश में मिनी शक्ति प्रशिक्षण के तौर पर एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल पर ज़ोरदार झटका तब लगा जब भाजपा के दो विधायको ने कांग्रेस सरकार के पक्ष में अपना मतदान किया। सदन में विधेयक पर मत विभाजन के दौरान उसके दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने अपना समर्थन मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस नीत सरकार को दे दिया।

इसको लेकर जहा भाजपा सदमे में है वही राजनैतिक गलियारों में हलचल और सुगबुगाहट तेज़ हो गई है। राजनैतिक सुगबुगाहटो पर अगर कान धरे तो चर्चा है कि इन दोनों भाजपा विधायकों के कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने में मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ-साथ भोपाल मध्य के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जो कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी के खेमे के हैं। कांग्रेस को समर्थन देने वाले ये दोनों विधायक पूर्व में कांग्रेसी नेता रहे हैं और पिछले साल मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा के इन दोनों विधायकों ने कहा कि यह उनकी ‘घर वापसी’ है।

बुधवार शाम को पत्रकारों से बात करते हुए दोनों विधायकों ने इसे घर वापसी करार दिया, जबकि मध्य प्रदेश सरकार के खनन मंत्री प्रदीप जायसवाल, जो कमलनाथ सरकार का समर्थन करने वाले चार निर्दलीय विधायकों में से एक हैं, ने कहा कि कम से कम चार और बीजेपी विधायक जल्द ही कांग्रेस का दामन थामेंगे। इसी बीच, बताते चले कि विधानसभा में दंड विधि (मध्य प्रदेश संशोधन) विधेयक 2019 पर बसपा विधायक संजीव सिंह द्वारा मांगे गये मत विभाजन के दौरान कुल 122 विधायकों ने सत्तारूढ़ कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया।

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