तीन तलाक़ बिल – बहस के बाद लोकसभा में पास हुआ, बोले ओवैसी – आप क्या चाहते है जब पति जेल से आये तो पत्नी गाना गाये कि बहारो फुल बरसाओ मेरा महबूब आया है

लिखते लिखते - समाचार लिखे जाने के दौरान लोकसभा में 303 मत पाकर ट्रिपल तलाक़ बिल पास हो गया है। अब देखना होगा कि राज्य सभा मे इस बिल पर क्या स्थिति होती है।

लिखते लिखते – समाचार लिखे जाने के दौरान लोकसभा में 303 मत पाकर ट्रिपल तलाक़ बिल पास हो गया है। अब देखना होगा कि राज्य सभा मे इस बिल पर क्या स्थिति होती है।

आदिल अहमद

नई दिल्ली : तीन तलाक मुद्दे पर संसद में बहस जारी है। आज सरकार द्वारा इस बिल को लोकसभा में पेश करते हुवे कहा गया कि यह सबका साथ सबका विकास के मुद्दे पर लैंगिक समानता और न्याय से जुडा हुआ महिलाओं के हित में बिल है।इसके बाद एनडीए के सहयोगी दल जदयू ने सदन का बहिष्कार कर दिया। बताते चले कि जदयू इस बिल का विरोध कर रही है।

वही दूसरी तरफ तीन तलाक बिल पर बृहस्पतिवार को लोकसभा में हंगामा देखने को मिला। एआईएमआईएम नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बिल में आप कह रहे हैं कि अगर किसी पति ने पत्नी को तीन बार तलाक कह दिया तो शादी नहीं टूटती, सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी यही कहता है फिर आप ये क्यों कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ये महिलाओं के खिलाफ है। जब 3 साल की सजा हो जाए, पति जेल में रहे तो औरत 3 साल तक इंतजार करें। और जब 3 साल के बाद वो वापस आए तो क्या कहे कि बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है। ओवैसी ने कहा कि आप एक प्रावधान लाइये कि अगर कोई ट्रिपल तलाक देता है तो मेहर की रकम का 5 गुना उसे भरना पड़े।

आपको बता दें कि इससे पहले लैंगिक न्याय को नरेंद्र मोदी सरकार का मूल तत्व बताते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि तीन तलाक पर रोक लगाने संबंधी विधेयक सियासत, धर्म, सम्प्रदाय का प्रश्न नहीं है बल्कि यह ”नारी के सम्मान और नारी-न्याय’ का सवाल है और हिन्दुस्तान की बेटियों के अधिकारों की सुरक्षा संबंधी इस पहल का सभी को समर्थन करना चाहिए।

वहीं, कांग्रेस सासंद गौरव गोगोई ने तीन तलाक बिल कहा कि क्या स्टैंडिंग कमिटी में बिल भेजने की मांग करना भी मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ हो गया। आप मुस्लिम संगठनों से सलाह मशवरा कीजिए। उनके साथ बैठिए। अगर आपको सबका साथ सबका विश्वास चाहिए तो आप सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मॉब लिंचिंग पर लॉ लाइए।

आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिये पेश किये जाने का विरोध करते हुए इस संबंध में सरकार द्वारा फरवरी में लाये गये अध्यादेश के खिलाफ सांविधिक संकल्प पेश किया। प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस विधेयक को भाजपा सरकार लक्षित एजेंडे के रूप में लाई है। यह राजनीतिक है। इस बारे में अध्यादेश लाने की इतनी जरूरत क्यों पड़ी।

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