व्यापारी ने खाते में जमा करवया 78 हज़ार नगद, कैशियर साहब 5 दिन तक जमा ही नही किये थे खाते मे, हंगामे के बाद जमा किया पैसा
फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी। मैगलगंज कस्बे की इलाहाबाद बैंक शाखा में सीमेन्ट व्यापारी द्वारा जमा की गई 78 हजार की नगदी बैंक कर्मचारियों द्वारा खाते में जमा नहीं की गई। जब व्यापारी ने पांचवें दिन नगदी खाते में जमा न होने की शिकायत की तो बैंक कर्मचारियों ने बैंक द्वारा दी गई जमा बाउचर को ही फर्जी बता दिया। बाद में कस्गे के व्यापारियों द्वारा लामबन्द होने के बाद बैंक कर्मचारियों ने 78 हजार की नगदी फर्म के खाते में जमा कर दी।
घटना के सम्बन्ध में बताया जाता है कि कस्बे के सीमेन्ट व्यवसायी राम ट्रेडर्स का दशकों पुराना चालू खाता इलाहाबाद बैंक शाखा मैगलगंज में है। 19 जुलाई को फर्म स्वामी ने अपने कर्मचारी सुशील को बैंक शाखा भेजकर 78 हजार का कैश फर्म के खाते में जमा कराया था। कैश लेकर जमा बाउचर की पर्ची पर बैंक की मोहर लगाकर 78 हजार की रिसीविंग करने के बाद फर्म कर्मचारी को दे दी गई। लेकिन पांच दिन तक जब फर्म के खाते में रकम जमा शो नहीं हुई तो फर्म स्वामी ने बुधवार को बैंक जाकर इसकी जानकारी करनी चाही। तब कैशियर रमेश द्वारा जमा पर्ची पर लगी मोहर व दस्तखत को अन्य बैंक कर्मचारियों द्वारा फर्जी बता व्यापारी के कर्मचारी पर ही चोरी का आरोप लगा दिया। जब व्यापारी ने इसका विरोध किया तो आरोप है कि बैंक कर्मचारी व्यापारी के साथ अभद्रता करने लगे।
कर्मचारियों द्वारा अभद्र व्यवहार करने पर व्यापारी बैंक शाखा से चला आया और अन्य व्यापारियों को अपने साथ हुई घटना को साझा कर कई व्यापारियों के साथ वापस बैंक पहुंचा। व्यापारियों द्वारा विरोध करने व उच्चाधिकारियों से शिकायत करने की बात पर जमा बाउचर मिलान करने की बात कही। रात आठ बजे मंडी समिति के एक व्यापारी ने बैंक रिकार्ड से फर्म स्वामी द्वारा जमा किया गया बाउचर ढूंढ निकाला। बाउचर मिलने के बाद बैंक कर्मचारियों का मुंह बन्द हो गया। आखिर में बैंक कर्मचारियों द्वारा वाउचर मिलने के बाद 78 हजार की नगदी फर्म के खाते में जमा कर दिया गया। फिलहाल फर्म स्वामी ने बैंक कर्मचारियों की शिकायत उच्चाधिकारियों से करने की बात कही है।
वही जब इस बावत शाखा प्रबंधक नवीन कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि राम ट्रेडर्स का बाउचर शाखा में ही अन्य कागजातों में कहीं दब गया था। बाउचर मिलने के बाद खाते में नगदी जमा कर दी गई है। अभद्र व्यवहार किये जाने की बात पर उन्होंने कहा कि बैंक कर्मचारियों द्वारा किया गया व्यवहार गलत है उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। यहाँ इन सबके बीच एक बात समझ में नहीं आई कि आखिर पांच दिन तक कैशियार अपना कैश कैसे मिलान करता था. क्योकि 78 हज़ार की रकम व्यापारियों ने बताया कि सस्पेंस अकाउंट में भी शो नहीं कर रही थी। तो फिर आखिर मैनेजर साहब ये वाऊचर दब जाने की बात कहकर मामले को टाल कैसे रहे है। रकम बड़ी थी, व्यापारी जुझारू था तो मामला सामने आ गया। वही कोई गरीब और दबा कुचला कम पढ़ा लिखा व्यक्ति होता तो मैनेजर साहब आपका कैशियर को माल हज़म कर गया होगा। न जाने ऐसे कितने हज़म करके बैठा भी हो तो कोई बड़ी बात तो नही लगती।