भीख मांगती रही बेबसी, मूकदर्शक बना रहा प्रशासन
सडक पर बेटी की लाश रख भीख मांगती बेबसी और मज़बूरी |
फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी. सरकार वो केंद्र की हो या फिर प्रदेश की. सरकार जितने भी योजनाओ के लाने का दावा कर ले मगर ज़मीनी स्तर पर आज भी गरीब जनता अपने अधिकार को पाने के लिए जद्दोजहेद करती दिखाई देती है. केंद्र सरकार चाहे जितना भी कहे “अच्छे दिन आयेगे” या फिर प्रदेश सरकार भले कहे “बन रहा है आज सवर रहा है कल” मगर ज़मीनी स्तर पर न आज बन रहा है और न ही अच्छा दिन आ रहा है. गरीब कल जितना निरीह था आज भी उतना ही निरीह है. असक्षम है, निर्बल है. हा ये एक अलग बात है कि सरकारी महकमे के आज कल क्या परसों तक बन जा रहे है. सरकारी लोगो के अच्छे क्या बहुत अच्छे दिन आ चुके है. आज आपको एक ऐसी घटना से अवगत करवाते है जिसको जानने के बाद आप स्वयं कहेंगे कि सही बात है अच्छे दिन केवल अधिकारियो के आये है, आज कल सहित परसों भी उनका ही बन रहा है.
लखीमपुर खीरी ही नहीं एक बार से पूरा देश उस समय शर्मसार हुआ जब एक लाचार बाप को अपनी मासूम बेटी की लाश ले जाने के लिए फुटपाथ पर भीख मांगनी पड़ी और प्रशासन केवल मुँह देखता रह गया। मितौली के रहने वाले दलित रमेश की 14 वर्षीय पुत्री पिछले दस दिनों से तेज बुखार के चलते बीमार थी जिसको मितौली chc में भर्ती कराया गया था हालत बिगड़ने पर जिला अस्पताल रेफर किया गया लेकिन अस्पताल पहुचने पर लड़की की मौत हो गई पिता के पास शव को ले जाने के लिए पैसे नहीं थे जब उस ने CMO से मदद मांगी तो उन्होंने उसकी कोई मदद नहीं की मजबूर हो कर उसने लड़की के शव को फुटपाथ पर रख कर भीख मांग कर शव ले जाने के लिए पैसे जुटाए। आप तस्वीर मे देख सकते है अपनी मासुम बच्चे कि लाश को फुटपाथ पर रख कर एक मजबूर और बेबस बाप भीख मांग रहा है. एक आह तो हर उसकी निकलती है जिसके सीने में दिल होगा मगर नहीं निकली तो आदरणीय CMO साहेब की. जिनके खुद के घर के नौकर भी सब्जी लेने शायद कार से जाते है, शायद CMO साहेब कुर्सी के पॉवर में इतना मशगूल हो गए है कि इंसानियत बगल से निकल गई है. ज़िले का प्रशासन मूकदर्शक बना रहा और बेबसी भीख मांगती रही.
खैर साहेब, भीख के पैसे से वो बेबस इन्सान अपनी बेटी का अंतिम संस्कार कर चूका होगा, बेटी बचाओ बेटी पढाओ के नारे लगाने वाले एक बेटी के मरने पर शायद अब अपने आंसू दिखाना शुरू कर दे, हो सकता है सम्बंधित CMO के ऊपर कोई कार्यवाही प्रदेश सरकार कर दे, स्थानीय विधायक उसको कुछ शायद आर्थिक सहायता भी दे दे, हो सकता है पैसे बाटने को मशहूर एक विधायक महोदय मीडिया को साथ में लेकर कल या आज ही पहुचे और उस गरीब को एक आर्थिक सहायता और कुछ आश्वासन प्रदान कर दे.मगर मेरा सभी से सिर्फ एक सवाल है, साहेब 1947 से लेकर आज तक ये बेबसी सडको पर भीख मांगी है. साहेब आखिर कब ख़त्म होगी ये बेबसी कब ख़त्म होगी ये मज़बूरी.कब तक आप लोग आर्थिक सहायता करते रहेगे, साहेब बस एक बार बेबसी को आर्थिक सहायता न देकर ऐसे हालात पैदा कर दे कि फिर कोई बेबसी सडको पर भीख मांगने पर मजबूर न हो जाए. तब आएगा अच्छे दिन, तब बनेगा आज और सवारेगा कल.