असमंजस-आदमखोर बाघ या फिर बाघिन, पिक्चर शायद अभी बाकि है

फारूख हुसैन.
लखीमपुर खीरी. दक्षिण खीरी वन रेंज मैलानी के ग्राम छेदीपुर मे मंगलवार को जिस ग्रामीण को बाघ ने मौत के घाट दिया था उसे वन विभाग के एक एक्सपर्ट टीम ने पकड़ा और लखनऊ के चिड़ियाघर ले गये।इस बाघ को पकड़ने के लिए डा०उत्कर्ष शुक्ला ने अपनी एक्सपर्ट टीम के साथ बनाई गई रणनीति के तहत ट्रंकुलाइज किया और बेहोश किया था। परंतु एक बात किसी के हलक से उतर ही नहीं रही है कि वन अधिकारियों एवं ट्रंकुलाइजर एक्सपर्टो के कहने के मुताबिक आदमखोर बाघिन  थी बाघ नहीं परंतु जब बाघ पकड़ा गया तो वह कैसे आदमखोर बन गया ।

आरोप-15अगस्त को ग्राम कपरहा कुंआ मे बालिका सरस्वती,19अगस्त को छेदीपुर का टीकाराम,20अगस्त को बाबूराम,30 अगस्त को जानकी प्रसाद इससे पहले खरेहटा के भोगन को मौत के घाट उतार दिया था।

खबर:-वनाधिकारियों ने अगर आदमखोर बाघ को पकड़ा है तो उन्होंने सराहनीय औऱ साहस का कार्य किया है परंतु  अगर जनता के दबाव औऱ अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए आदमखोर बाघिन की जगह बाघ को पकड़ा है तो पूरे प्रदेश मे  ही नही देश मे वनविभाग का चेहरा कलंकित होगा।फिलहाल  वनाधिकारी और जिलाधिकारी के बीच बाघ को पकड़ने मे अलग अलग बयान तथा पहले वनाधिकारियों के बाघिन होने और आदमखोर बताकर उसकी हत्या करने का आदेश बाद मे सुधार की बात कहकर आदमखोर बाघ को जताना भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा है।

आरोप:-जनता का आरोप है कि वनाधिकारियों ने अपने आला अफसरो को वह लगातार गुमराह कर कभी आदमखोर बाघ तो कभी बाघिन बता रहे है।एक माह से लगातार आदमखोर बाघिन ने पाँच ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया था जिसकी पुष्टि भी वनाधिकारियों ने की पर टैकुलर बाघ को करने के बाद पहले हुई मौतों का आरोप आदमखोर बाघिन की जगह आदमखोर बाघ को बना डाला है जबकि हकीकत मे आदमखोर बाघिन की दहशत बनी हुई है।मामला जो हो पर आदमखोर बाघिन पकड़ा ना जाना अच्छे संकेत नही है अगर किसी ग्रामीण को वह अपना शिकार बनाती है तो वन विभाग के पास कोई जबाब नही है।

नाकामी:-बताते चले कि वनविभाग की नाकामी औऱ गैर जिम्मेदार ना  बयान के चलते बाघिन की सक्रियता इलाके मे बनी हुई है।बृहस्पतिवार की सुबह बाघिन ने कुत्ते को अपना शिकार बना कर वन विभाग के दावे की पोल खोल दी है।

आवश्यकता;- आवश्यकता है कि बयान बाजी बन्द कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही हो औऱ खूनी बाघिन के बारे मे निर्णय ले।जिन लोगों ने बाघ को बेहोशी हालत मे देखा है वह पहले हुई मौत का असली गुनहगार मानने से इनकार कर आदमखोर बाघिन की तलाश कर उसे पकड़ने का काम करें वरना हमले होते रहेंगे औऱ ग्रामीणोंको मौत के घाट उतारने पर बवाल होगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी वन विभाग की ही होगी ।

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