आज ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो प्रधानमंत्री मोदी से निडर होकर बात कर सके – डॉ मुरली मनोहर जोशी
आदिल अहमद
नई दिल्ली: भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने खुद की पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के विरोध में एक बार फिर से आवाज़ उठाई है। उन्होंने कहा है कि आज एक ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से निडर होकर बात कर सके। डॉ जोशी कांग्रेस के दिवंगत नेता जयपाल रेड्डी के श्रधान्जली सभा में अपना वक्तव्य दे रहे थे।
#WATCH: Murli Manohar Joshi, senior BJP leader says,"I think there is a need for such a leadership today which expresses views clearly, can debate with the Prime Minister based on principles, without any inhibition and not worrying about making him happy or sad." (3/9) pic.twitter.com/Yk59BRnky0
— ANI (@ANI) September 4, 2019
मुरली मनोहर जोशी ने मंगलवार को कहा कि भारत को ऐसे नेतृत्व की ज़रूरत है, जो प्रधानमंत्री के सामने निडर होकर बात कर सके, और उनसे बहस कर सके। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर पार्टी लाइन से ऊपर उठकर चर्चा करने की परम्परा लगभग खत्म हो चुकी है, और उसे दोबारा शुरू करना होगा।
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि ऐसे नेतृत्व की बहुत ज़रूरत है, जो बेबाकी से अपनी बात रखता हो, सिद्धांतों के आधार पर प्रधानमंत्री से बहस कर सकता हो, बिना किसी डर के, और बिना इस बात की परवाह किए कि प्रधानमंत्री नाराज़ होंगे या खुश। मंगलवार के कार्यक्रम में मुरली मनोहर जोशी ने याद किया कि 1990 के दशक में जब जयपाल रेड्डी मंत्री थे, वह बौद्धिक संपदा अधिकारों पर चर्चा के लिए एक अहम फोरम के सदस्य भी थे, और अक्सर सरकार के रुख से अलग राय पेश किया करते थे। उन्होंने बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे अहम मुद्दों पर जयपाल रेड्डी एवं वामदल सहित अन्य दलों के नेताओं की मौजूदगी वाले विभिन्न नेताओं के समूहों (फोरम) का जिक्र करते हुए कहा कि इन समूहों में दलगत विचारधारा से हटकर विचार-विमर्श होता था। मुरली मनोहर जोशी ने कहा, “कुछ मामलों में सीपीएम नेता सीताराम येचुरी अपने नाम के अनुरूप सीताराम’ का ध्यान रखकर हमारा साथ देते थे और कभी-कभी हम भी उनका साथ देते थे।
85-वर्षीय दिग्गज राजनेता की टिप्पणी इसलिए अहम है, क्योंकि वह पार्टी के मौजूदा नेतृत्व की आलोचना पहले भी करते रहे हैं, और इसी साल उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिए जाने पर खुलेआम नाराज़गी भी व्यक्त की थी। मुरली मनोहर जोशी तथा पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी वर्ष 2014 से शुरू हुए नरेंद्र मोदी-अमित शाह युग में उन नेताओं में शुमार कर दिए गए हैं, जिन्हें जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया। इस समारोह में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मौजूद थे।