माफ़ी हजूर दिल की बात जुबा तक आ गई, मगर पुलिसकर्मियों के वर्दी भत्ते में 25 प्रतिशत बढ़ोत्तरी, ऊंट के मुह में जीरा सरीखा लगता है
संजय ठाकुर की कलम से कड़वा सच
पहले आपको समाचार से रूबरू करवाते है उसके बाद दिल की बात जुबां पर तो खुद ब खुद आ जायेगी। समाचार यह है कि सिपाहियों को अब हर साल वर्दी के लिए 1800 की जगह 2250 रुपये मिलेंगे। शासन से अनुमति मिलने के बाद पुलिस मुख्यालय से इस बारे में आदेश जारी कर दिए गए हैं। वर्दी भत्ता इंस्पेक्टर, दरोगा, सिपाही और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को मिलेगा। दरोगा और इंस्पेक्टर को ज्वाइनिंग के दौरान ही 6000 रुपये भत्ता मिलता था। इसके बाद हर पांच साल पर उन्हें 6000 रुपये दिए जाते थे। अब भत्ता बढ़ने के बाद उन्हें ज्वाइनिंग के दौरान 7500 और हर पांच साल पर 7500 रुपये मिलेंगे। वहीं सिपाहियों और दीवान को पहली बार में 4800 और हर साल 1800 रुपये वर्दी भत्ता मिलता था।
अब साहेब दिल की बात ज़ुबा पर लाने की जुर्रत करता हु, पहले से ही माफ़ी मांग लेता हु कि साहेब सच बोल दे रहा हु. साहेब एक बात नहीं समझ आती है आखिर वो दूकान कौन सी है जहा सरकार को लगता है की केवल 2200 रुपयों में दो जोड़ी वर्दी ( एक गर्मी हेतु, दूसरी सर्दियों हेतु) कपडे सहित सिलकर मिल जाती है.साहेब मैंने तो जानकारी इकठ्ठा की है उसके अनुसार जो पुलिस कर्मियों के जूते होते है वही लगभग 2 हज़ार के आते है. 5 साल में दरोगा जी को भी 10 जोड़ी वर्दी चाहिए होती है अब साहेब 10 न सही 5 तो चाहिए ही होगी अब उस दूकान का पता भी सरकार जनता को क्यों नहीं बता देते जहा केवल साढ़े सात हज़ार में 5 साल तक पहनने के लिए कपडा आम जनता को भी मिल जाता.
सरकार के अन्दर बैठे हमारे नेता योजनाये बनाते है एक इंसान को 2200 रुपया देकर कहते है कि इन पैसो से आप एक साल तक रोज़ न्यूनतम १२ घंटे कपडे पहने वो भी कड़क,कही से फटा न हो कही से कटा न हो, मगर साहेब आपका शायद जूता भी 10 हज़ार का होता है. साहेब आपके अनुसार तो हर पुलिस कर्मी को मात्र 30 रुपया वर्दी मेंटेनेंस के नाम पर मिलता है, अर्थात आप आशा करते है कि एक पुलिस कर्मी कोई ऐसी दूकान देख ले जहा पर एक रुपया रोज़ में उसकी वर्दी धुल कर कड़क प्रेस होकर मिल जाए. क्योकि पुलिस नियमावली कहती है कि वर्दी साफ़ सुथरी और कड़क प्रेस की हुई होनी चाहिए.अब साहेब ऐसी दूकान का पता मुझको को तो नहीं है कि एक रुपया की धुलाई और प्रेस करवाई हो क्योकि साहेब ड्यूटी के अनुसार पुलिसकर्मियों को समय कपडे धोने का मिल नहीं पाता होगा.
जो भी हो सरकार को पुलिस कर्मियों हेतु निर्धारित भत्ते पर एक बार फिर से विचार करना चाहिए और देखना चाहिए कि वह समाज में अभी के महंगाई के अनुरूप हो.