प्यासे जनाबे अली असगर की याद में निकला झूले का जुलूस
आसिफ रिज़वी
मऊ। मोहर्रम की पांचवी तारीख को मलिक टोला के सैय्यद तौकीर हसन के सहन से अली असगर के झूले का जुलूस निकाला गया जिसमें अंजुमन बाबुल इल्म जाफरिया ने नौहाख्वानी व सीनाजनी पेश की जुलूस अपने कदीमी रास्ते से होते हुए इमामबाड़ा मालिक टोला पहुँचा जुलूस के फौरन बाद घोसी से आए आली जनाब मौलाना नसीमुल हसन साहब ने तकरीर पेश की और जनाबे अली असगर का मसायब पेश किया जिसको सुन अजादारों की आँखे नम हो गयी।
मौलाना ने बताया कि 10 मोहर्रम को आशूरा के दिन जब हुसैन का कोई मददगार ना रहा तो इमाम हुसैन ने कर्बला में तन्हा खड़े होकर हलमिन नाशिरीन यन सुरना कि सदा दी तो अली असगर ने आवाज सुनकर झूले में मचलने लगे तो इमाम हुसैन का परिवार रोने लगा ये रोने की आवाज़ सुनकर हज़रत इमाम हुसैन अ०स० खैमे के करीब गए बहनहज़रते ज़ैनब को बुलाकर रोने का मकसद पूछा तो हज़रते ज़ैनब ने कहा भाई आप की आवाज़ सुनकर जनाबे अली असगर ने अपने आपको झूले से गिरा दिया। तो इमाम हुसैन ने जनाबे अली असगर को लेकर हज़रत इमाम हुसैन अ०स० ने कर्बला के मैदान में पहुँचे तो शिम्र के लश्करों से कहा ये बच्चा बहुत प्यासा है थोड़ा सा इसे पानी पिला दो।
जब कुछ देर हो गयी तो इमाम हुसैन अ०स० ने कहा कि तुम समझ्ते हो कि इमाम हुसैन पानी पी लेंगे तो लो मै अपने लाल को जमीन पे लेटा देता हूँ। तुम खुद आओ इस नन्हे बच्चे को पानी दे दो। लेकिन यज़ीदी लश्कर ने कहा इस बच्चे सेकहो कि पानी खुद मांगे। तो इमाम हुसैन ने कहा कि ए मेरे लाल अली असगर पानी मांग लो। तो जनाबे अली असगर ने जैसे ही पानी मांगा तो इब्ने साद ने सोचा कि लोग बागी न हो जाए तो हुर्मुला से कहा ए हुर्मुला बच्चे पे निशाना लगाकर तीन भाल के तीर चलाओ। जैसे ही तीर चला जनाबे अली असगर के गले को छेदता हुआ इमाम हुसैन अ०स० के बाजू में जा लगा। जनाबे अली असगर शहीद हो गए। उसी जनाबे अली असगर की याद में झूला निकाला गया।
जिसमे मुख्य रूप से तजियेदार सैय्यद अली अंसर, इरफान अली, मंसूर खान, मकसूद अली, हैदर , तामीर, अली, मासूम, रज़ा, रिज़वी, जावेद, आसिफ, शोएब आदि लोग मौजूद रहे।