सातवीं मोहर्रम पर निकले दुलदुल जुलूस में अक़ीदतमन्दों ने चढाए फूल, मांगी मुरादें
तारिक खान
प्रयागराज। इमामबाड़ा सफदर अली बेग पान दरिबा से १८३६ में क़ायम किया गया ऐतिहासिक दुलदुल जुलूस शनिवार को प्रातः५ बजे पूरी शानो शौकत के साथ मिर्ज़ा इक़बाल हुसैन (हुमाय्ँ मिर्ज़ा) व बाबर भाई की सरपरसती मे निकाला गया।
जुलूस शाहगंज, पत्थर गली, शाहनूर अलीगंज,, सेंवई मण्डी, नखास कोहना, अहमदगंज, अकबरपुर, नूरउल्लाह रोड, गुलाब बाड़ी, पुराना गुड़िया तालाब, बख्शी बाज़ार, दायरा शाह अजमल, बैदन टोला, कोलहन टोला, हसन मंज़िल, चकय्या नीम, रानी मण्डी, चडढा रोड, कोतवाली, लोकनाथ चौराहा, गुड़ मण्डी, बहादुरगंज, चक ज़िरो रोड, घन्टाघर, हम्माम गली, बरफ वाली गली, सब्ज़ी मण्डी, सुजात खाँ की सराँय आदि को तय कर पुनाः पान दरिबा स्थित इमामबाड़ा सफदर अली बेग पर चौबिस घन्टे के विशाल और क़दीमी जुलूस का भोर पाँच बजे समापन हुआ।
दुलदुल को जगहाँ जगहाँ लोगों ने जहाँ फूल माला चढ़ा कर मन्नत व मुरादें मांगी वहीं दुलदुल को दूध जलेबी व भीगी चने की दाल से खैरमक़दम भी किया।उम्मुल बनीन सोसाईटी के महासचिव सै० मो० अस्करी ने बताया की हज़रत इमाम हुसैन के वफादार घोड़े (ज़ुलजनाह) को सूती चादर, गुलाब व चमेली के फूलों से सजा कर बड़े ही एहतेराम से निकाला गया। रास्ते भर औरतों बच्चों व बुज़ूरगों ने दुलदुल की ज़ियारत कर अपने दुधमुहे बच्चों को दुलदुल के नीचे से निकाल कर खैरो आफियत की दुआ भी मांगी। वहीं रानी मण्डी से निकले मातमी दस्तों व अन्जुमनों ने नौहाख्वानी के साथ जमकर मातम किया। अन्जुमन मज़लूमिया, शब्बीरिया, अब्बासिया, हैदरया व आबिदया के मातमदारों ने कोतवाली पर तेज़धार की छूरीयों से लैस ज़नजीरों से पुश्तज़नी करते हुए जुलूस की शक्ल मे इमामबाड़ा छोटी चक पहुच कर जनाबे सय्यदा को उन्के लाल हुसैन व अन्य शहीदों का पुरसा दिया।