नए ट्रैफिक नियम लागू होने के बाद वाहनों के इंश्योरेंस में 30 फीसद बढ़ोतरी
तारिक खान
प्रयागराज। नए ट्रैफिक नियम लागू होने के बाद इंश्योरेंस कराने वालों की भीड़ बढ़ गई है। खासकर निजी वाहन मालिक इंश्योरेंस एजेंट को ढूंढ रहे हैं। कुछ लोग तो वेबसाइट पर ऑनलाइन इंश्योरेंस कर रहे हैं। पिछले छह दिनों में इसमें 30 से 40 फीसद तक की उछाल देखने को मिली है। यह सब नए ट्रैफिक नियम लागू होने के बाद की स्थिति है।
ट्रैफिक नियम तोडऩे पर जुर्माने की राशि कई गुना बढ़ाई गई है
पहली सितंबर से केंद्र सरकार ने नए ट्रैफिक नियम तोडऩे पर जुर्माने की राशि कई गुना बढ़ा दी है। पहले गाड़ी का इंश्योरेंस न होने पर एक हजार जुर्माना लगता था। अब उसे बढ़ाकर दो हजार कर दिया गया है। इस नियम के आधार पर प्रदेश में भले ही अभी चालान नहीं शुरू हुआ, लेकिन लोग इंश्योरेंस कराने लगे हैं। वाहन चालकों का कहना है कि दो हजार रुपये जुर्माना देने से बेहतर है कि एक हजार रुपये का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस ही करा लें, पता नहीं कब यह अपने ही काम आ जाए।
अब हर वाहन स्वामी इंश्योरेंस का रेट पूछने आ रहा है
इंश्योरेंस एजेंट विजय शुक्ला ने बताया कि पिछले पांच दिनों से दिन भर इंश्योरेंस कराने वालों की भीड़ लगी रहती है। पहले तो कामर्शियल वाहन वाले या जिनको गाड़ी ट्रांसफर कराना होता था, वहीं इंश्योरेंस करते थे। अब हर कोई इंश्योरेंस का रेट पूछने आ रहा है। निजी कंपनी के मैनेजर सुनील चौहान ने बताया कि इंश्योरेंस लेने वालों की तादात अब 30 से 40 फीसद बढ़ गई है। भले ही लोग जुर्माने के डर से इसे खरीद रहे हैं लेकिन यह उनकी बेहतरी के लिए ही है। अगर किसी तरह का हादसा होता है तो उनको ही फायदा होगा।
निजी कंपनियों की ज्यादा बिक पॉलिसी
वाहनों के इंश्योरेंस क्षेत्र में नेशनल इंश्योरेंस, ओरिएंटल, न्यू इंडिया, यूनाइटेड इंश्योरेंस, एसीबीआइ इंश्योरेंस सरकारी कंपनी है। इनके अलावा करीब दर्जन भर से अधिक निजी कंपनियां इस बाजार में है। सभी तरह के इंश्योरेंस एजेंट के जरिए ही होते हैं। सरकारी कंपनियां एजेंटों को 2.5 फीसद कमीशन देती हैं तो निजी कंपनियां दस फीसद या इससे अधिक तक कमीशन देती हैं। अब बाजार मेें डिमांड बढ़ी है तो एजेंट अधिकतर निजी कंपनियों का बीमा बेंच रहे हैं। वैसे पॉलिसी का रेट सभी में लगभग बराबर है।
क्या हैं पॉलिसी के नियम
पहली बार गाड़ी खरीदने पर पांच साल का फुल इंश्योरेंस लेना पड़ता है। उसके बाद थर्ड पार्टी या फुल इंश्योरेंस एक से तीन साल तक का ले सकते हैं। सरकारी कंपनियां थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के साथ गाड़ी मालिक का भी एक्सीडेंटल इंश्योरेंस करती हैं। जबकि निजी कंपनी बिना इसके भी पॉलिसी दे रही हैं।