वाह कानपुर पुलिस, एसिड अटैक के बावजूद पीड़िता को एक थाने से दूसरे थाने चक्कर कटवाया।
इब्ने हसन ज़ैदी।
कानपुर। पुलिस की छवि सुधारने का जितना भी प्रयास मौजूद डीजीपी साहेब आप कर ले, मगर कानपुर पुलिस ने शायद कसम खाया हुआ है कि हम तो न बदलेंगे चाहे कुछ भी हो जाय। कानपुर पुलिस का कल एक और अमानवीय चेहरा सामने आया जब एसिड अटैक की शिकार महिला जो गंभीर रूप से झुलसी हुई है को अपने इलाज के लिए एक थाने से दूसरे थाने चक्कर काटना पड़ा। अंततः जीआरपी थाने ने उसको अस्पताल में भर्ती करवाया ज़हे उसका इलाज शुरू हो सका।
घटना कुछ इस प्रकार है कि इलाहाबाद की रहने वाली महिला से कानपुर स्टेशन पर तीन लडको ने छेड़खानी की महिला ने जब विरोध किया तो उसके ऊपर तेज़ाब फेक दिया घायल महिला को जीआरपी थाने की पुलिस ने अस्पताल में भर्ती कराया है।
जानकारी के अनुसार इलाहाबाद की रहने वाली यह महिला किसी काम से कानपुर आई थी स्टेशन पर लडको ने महिला के साथ बत्तमीजी की महिला के विरोध करने पर उसके ऊपर तेज़ाब फेक दिया गया.एसीड अटैक में घायल हुई महिला इलाज के लिए दो थानों के चक्कर लगाती रही बाद में जीआरपी थाने ने महिला को इलाज के लिए अस्ताल में भर्ती कराया है। घायल महिला इतने बुरी तरीके से जली हुई है कि वहा ज़्यादा बोल नहीं पा रही है महिला का कहना है की उसके साथ छेड़खानी करने के बाद लडको ने तेज़ाब फेक दिया है
इस संबंध में डिप्टी एसपी आर एन मिश्र का कहना है की कलेक्टरगंज थाने की पुलिस महिला को लेकर जीआरपी थाने आई थी चुकी महिला काफी जली हुई थी उसको इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है। घटना स्थल क्या है बाद में देखा जायेगा। सूचनाओं के अनुसार महिला इलाज के लिए कलेक्टर थाना और जीआरपी के चक्कर लगाती रही बाद में जीआरपी थाने ने महिला को अस्पताल में भर्ती कराया है।
यहाँ एक बात नहीं समझ आई कि क्या कलक्टरगंज थाने द्वारा महिला को जीआरपी ले जाना जरूरी था या फिर इलाज मुहैया करवाना उसकी प्राथमिकता होनी चाहिए। चलिए मान लेते है कि महिला अज्ञानता के कारण कलेक्टरगंज थाने पहुच गई, तो क्या कलक्टरगंज थाने के थानेदार साहेब प्राथमिकता के आधार पर महिला का इलाज मुहैया करवाने की ज़रूरत नहीं समझे और उसको जीआरपी थाने भेज दिया। साहेब को शायद ज़ीरो ऍफ़आईआर के संबंध में ज्ञात नहो है जिसके सम्बन्ध में स्पष्ट दिशा निर्देश है कि थाने की सीमा विवाद में पहले उस पीड़ित अथवा पीड़िता की शिकायत पंजीकृत होगी फिर उस शिकायत का आइओ नियुक्त होने और उसकी सम्बंधित थाने को स्थान्तरित कर दिया जाता है।यह घटना अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई है।