प्रतिभा उम्र की नही है गुलाम, मात्र तीन साल उम्र में किसान की बेटी ने किया इस बात को साबित
फारुख हुसैन
पलिया कलां खीरी÷ प्रतिभाएं न ही उम्र की सीमा को देखतीं हैं और न ही किसी की मोहताज होती हैं। यह कहावत सुनी तो बहुत होगी लेकिन इस कहावत को मात्र तीन साल उम्र की मासूम ने अपने हौसले व लगन के जरिये सिद्ध करते हुए समाज के सामने बड़ी मिसाल पेश की है।
जी हां तीन साल की उम्र में मासूम के अंदर ताइक्वांडों के हुनर को देखकर ताइक्वांडों कोच भी हैरान रह गये। उन्होंने मासूम के हुनर को देख अभी से उसे भविष्य की चैम्पियन बनने की घोषणा कर डाली। बच्चों को भगवान का रुप माना जाता है और भगवान का कोई कद नही होता। पुरानी कहावत में कहते हैं कि गुदड़ी में लाल छिपे होते हैं। ऐसे ही तिकुनियां ग्रामीण क्षेत्र के अति पिछड़े गांव गजियापुर निवासी एक किसान की मात्र तीन साल की मासूम बेटी अस्नात में इस छोटी उम्र में ताइक्वांडों के वह गुण मौजूद हैं जिन्हें सीखने के लिये युवाओं को कई माह की ट्रेनिंग लेनी पड़ती है।
यह प्रतिभा इस छोटी सी बच्ची में ईश्वरीय वरदान के रुप में मौजूद है। पलिया में युवाओं को सालों से ताइक्वांडों सिखा रहे कोच अरुण तिवारी जब तिकुनियां कैंप में पहुंचे और बच्ची का हुनर देखा तो वह हैरान रह गये। उन्होंने ट्रेनिंग में बच्ची के हुनर को काफी परखा जिसके बाद उसे भविष्य की ताइक्वांडो चैंपियन बनने की घोषण कर डाली।