या हुसैन की सदा से गुंजा उठी गंगा जमुनी तहजीब का मरकज़ काशी, अकीदत के साथ निकला तीजे का जुलूस
ए जावेद
वाराणसी। या हुसैन की सदा से पूरा शहर गूंज रहा था। सारा दिन तीजे के जुलूसो में अकीदतमंदों के ग़मगीन चेहरों के साथ या हुसैन की सदा के साथ अलम के जुलूस शहर के विभिन्न हिस्सों से निकल कर फातमान कर्बला तक जाने का सिलसिला जारी रहा। ये सिलसिला सुबह सादिक से शुरू होकर देर रात तक जारी रहा।
शहीदाने करबला इमाम हुसैन का तीजा मनाने के लिए अकीदतमंदों का हुजूम गुरुवार को उमड़ा। या हुसैन की सदाएं हर किसी के लबों पर गूंज रही थीं। छोटे-छोटे बच्चे करबला दूर है, जाना जरूर है।।। का नारा लगाते हुए चल रहे थे। सुबह से ही अलम का जुलूस लेकर अकीदतमंद शहर के विभिन्न इलाकों से दरगाहे फातमान पहुंचते रहे। अलम के जुलूस का सिलसिला देर रात तक जारी रहा।
गुरुवार को अलम और अखाड़ों के जुलूस सदर इमामबाड़ा लाट सरैया पहुंचे। जगह-जगह अखाड़ों की ओर से फन का मुजाहिरा भी किया गया। फन के माध्यम से उन्होंने बताने का प्रयास किया कि 1400 साल पहले करबला में होते तो इमाम हुसैन के लिए अपनी जान की बाजी लगा देते। दरगाहे फातमान में अब्बास रिजवी शफक तथा सदर इमामबाड़े में सज्जाद अली जुलूसों की निगरानी कर रहे थे।
शाम को मगरिब की नमाज के बाद दरगाहे फातमान में मजलिस को खिताब करते हुए शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने कहा कि 1381 साल बीतने के बाद भी इमाम हुसैन व करबला के शहीदों की याद आज भी लोगों के दिलों में ताजा है। इस दौरान लोगों ने नौहा मातम किया।
शहर के हर घर में इमाम के तीजे पर फूल की मजलिसों का आयोजन हुआ। शहर की 31 शिया अंजुमनों ने मजलिसें आयोजित करके इमाम को खिराजे अकीदत पेश किया। सुबह से दोपहर तक महिलाओं ने भी घरों के इमामबाड़ों में इमाम के फूल की मजलिस का आयोजन करते हुए शहीदों को याद किया।
इस दौरान सुन्नी जमात के अखाड़े और अलम के जुलूसो का सिलसिला देर रात तक जारी रहा। अलम को अकीदत के साथ या हुसैन की सदा लगाते हुवे मुस्लिम समुदाय के लोग अलम का जुलूस लेकर फातमान पहुचे। इस दौरान जगह जगह खीचड़ो, बिरयानी को तकसीम किया गया। कर्बला के प्यासों की याद में सबील लगाई गई जहा पानी और शरबत बाटे गए। इसी कड़ी में काशीपुरा के युवको ने सबील लगा कर जुलूस में आने वालो को पानी पिलाया। इसका इंतज़ाम मुख्य रूप से मो,इस्लाम, आसिफ, आदिल, सुल्तान, निज़ाम, बाबू आदि ने किया।
इसी क्रम में आज शुक्रवार को अंजुमन अंसारे हुसैनी अवामी के जेरे निगरानी सदर इमामबाड़ा लाट सरैया में तीन बजे अलम व दुलदुल का जुलूस उठाया जाएगा। शहर की 10 अंजुमनें नौहाख्वानी व मातम करेंगी। उर्फी हसन के संयोजन में सराय हड़हा स्थित भीखाशाह गली में पांच दिवसीय मजलिस का आयोजन होगा। अंतिम मजलिस के बाद हजरत अब्बास का अलम उठाया जाएगा।