विश्वकर्मा पूजा का घोसी में रही चहल पहल

सुशील कुमार अंचल

मऊ- घोसी तहसील के मझवारा मोड़ पर विष्वकर्मा बाबा जयन्ती बड़ी ही धूमधाम से मनाई गई।लोंगो ने जयंती समारोह के खुसी मनाते हुए अपने -अपने कलाओ का किये प्रर्दशन अपने कलाओ को दिखा कर लोंगो को किये भाव मुक्त। लोंगो ने जयंती महोत्सव मनाने के साथ-साथ लोंगो का कला देखने के लिए काफी भीड़ लगी रही।

सनातनी परंपरा और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को विश्व का प्रथम अभियंता माना जाता है और इसी रूप में हम आज के दिन सदियों से भगवान विश्वकर्मा की पूजा,अर्चना,बन्दना और स्तुति करते है।आज के दिन हम भगवान विश्वकर्मा के आसरे  सभ्यता और संस्कृति के उद्भव काल से आज तक की उन विभूतियो को सादर स्मरण करते है जिन्होंने दुनिया को अपने हाथों की जादूगरी से सजाने संवारने और सर्जित निर्मित करने में श्लाघनीय प्रयत्न और प्रयास किये हैं।

अपनी सृजनात्मक और रचनात्मक बुद्धि विवेक और हुनरमन्द हाँथों के बल पर मानव ने अनेक चमत्कार किये, इस खोजी अन्वेषि मानव ने धरती की छाती चीरकर लोहा सहित अनेक बहुमूल्य धातुओं को खोजा निकाला,पिघलाया गलाया और तरक्की के आनोखे, अनूठे, अद्वितीय दुर्लभ औजार बनाये, जिसके बल पर आज हम प्रगति के अनगिनत किर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। इसी मानव ने बेजान पत्थरों को इस करिश्माई वास्तु कौशल से गढा रचा कि ये बेजान पत्थर हमारी रचनात्मकता का जिन्दा इतिहास बोलते हैं। आइये हम इस संकल्प के साथ सृषटी के प्रथम शिल्पी भगवान विश्वकर्मा को स्मरण करे कि- सृजन, रचना निर्माण करने वाले हमारे हाथों से कभी ध्वंस विध्वंस का कार्य ना हो।

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